राष्ट्रीय राजधानी का आसमान फिर काली चादरों से घिरना शुरू हो गया है। इससे वहां का हवा फिर खराब होना शुरू हो गया है। इसका सबसे बड़ा नुकसान बुजुर्ग और मरीजों को उठाना पड़ता है। राजधानी दिल्ली का ये हाल पराली के कारण हो रहा है जिस पर कई बार प्रतिबंध लग चुका है लेकिन स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है।
धान की कटाई के साथ ही अगली फसल की तैयारी में किसान लग गए हैं। इसलिए पुरानी फसल के अवशेषों को जलाकर खत्म करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसे पराली कहा जाता है। किसानों का मानना है कि खेतों में बचे पुआल या अवशेषों को जलाने से खेत तो खाली ही होता है साथ ही खेतों में मौजूद फसल को नुकसान पहुंचानेवाले किड़े-मकोड़े भी खत्म हे जाते हैं। लेकिन किसानों की प्रक्रियां में दिल्ली का दम घुटने लगता है।
दिल्ली में पंजाब, हरियाणा और अन्य आसपास के राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि के मद्देनजर आने वाले दिनों में वायु गुणवत्ता में गिरावट की आशंका जताई गई है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (सफर) वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को लेकर आनेवाले दिनों में गिरावट की आशंका जताई है।
स्तरवार वायु गुणवत्ता
0 से 50 के बीच एक्यूआई अच्छा,
51 से 100 के बीच संतोषजनक,
101 से 200 के बीच मध्यम,
201 से 300 के बीच खराब,
301 से 400 के बीच बहुत खराब
401 से 500 के बीच गंभीर
तापमान कम, प्रदूषण को मिला दम
सफर ने कहा, “ पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में खेतों में पराली जलाने की घटना में वृद्धि देखी गई है। वायु की दिशा प्रदूषकों के प्रसार के लिए अनुकूल है और आने वाले दिनों में दिल्ली पर ये अपना असर दिखाना शुरू करेंगे।” इसके अलावा, दिल्ली में न्यूनतम तापमान में भी गिरावट देखी गई है। मंगलवार को यह सामान्य से तीन डिग्री कम, 18.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। कम तापमान और हवा स्थिर होने से प्रदूषक तत्त्वों का संचय होता है, जो वायु गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
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