Rajya Sabha Chairman’s Address: राज्यसभा से 68 सदस्य हुए सेवानिवृत्त, सभापति जगदीप धनखड़ ने कही यह बात

सभापति ने गुरुवार 8 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले सदन के 68 सदस्यों को विदाई देते हुए कहा, "माननीय सदस्यों, यह हम सभी के लिए एक भावनात्मक अवसर है, क्योंकि हम अपने 68 सम्मानित सहयोगियों को विदाई दे रहे हैं।

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Rajya Sabha Chairman’s Address: राज्यसभा (Rajya Sabha) के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने कहा कि राज्यसभा से सेवानिवृत्त (retired) हो रहे सभी 68 सदस्यों के योगदान को देश याद रखेगा। सभी ने अपने स्तर पर देश को आगे ले जाने में भूमिका निभाई है। उन्हें यह भरोसा जताया कि ये सदस्य आगे भी समाज व देश सेवा में लगे रहेंगे।

सभापति ने गुरुवार 8 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले सदन के 68 सदस्यों को विदाई देते हुए कहा, “माननीय सदस्यों, यह हम सभी के लिए एक भावनात्मक अवसर है, क्योंकि हम अपने 68 सम्मानित सहयोगियों को विदाई दे रहे हैं। मुझे यकीन है कि सेवानिवृत्त होने वाले सदस्य भी भारत और प्रत्येक भारतीय के हित को आगे बढ़ाने के अपने प्रयासों के लिए गहन संतुष्टि की भावना के साथ सदन से विदा हो रहे हैं।”

विचारों की विविधता का प्रतिनिधित्व
धनखड़ ने कहा कि यह सदन हमारे जीवंत लोकतंत्र द्वारा साझा किए गए विचारों की विविधता का प्रतिनिधित्व करता है लेकिन साथ ही यह हमारे उद्देश्य की एकता को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त होने वालों में केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, नारायण राणे, अश्विनी वैष्णव, डॉ. मनसुख मंडाविया, भूपेन्द्र यादव, परषोत्तम रूपाला, राजीव चन्द्रशेखर, वी. मुरलीधरन, डॉ. एल. मुरुगन का नाम भी है। इन मंत्रियों ने अपने-अपने मंत्रालयों को नई ऊंचाइयों पर ले जाकर इस देश की विशिष्ट सेवा की है। सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं। सेवानिवृत्त हो रहे सभी सदस्यों को वह शुभकामनाएं देते हैं। उन्हें ये भरोसा है कि ये सदस्य सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रूप से लगे रहेंगे और देश सेवा करते करेंगे क्योंकि कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक सेवा से कभी सेवानिवृत्त नहीं होता है।

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सदस्यों को दीं शुभकामनाएं
इस दौरान उपसभापति हरिवंश ने भी सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को शुभकामनाएं दीं और उनके कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें याद किया। हरिवंश ने कहा कि परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है और परिवर्तन ही स्थाई है। हमारे यहां फेयरवेल का कॉन्सेप्ट नहीं है। हम ये मानते हैं कि परिवर्तन ही स्थाई है। हमारा ये उच्च सदन उस प्राकृतिक और शाश्वत सत्य का खूबसूरत प्रतिबिंब है। यह निरंतर चलने वाला और तय समय पर नवीनता धारण करने वाला सदन है। यह सदन सदैव निरंतरता का संदेश देता है।

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