OTT platform का व्यापक प्रभाव, नियंत्रण जरूरी, जरूरत पड़ने पर बनाएं दिशा-निर्देश

केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी कहा कि हमें नई तकनीकी का स्वागत करना चाहिए। हम कलात्मक स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं।

161

OTT platform: टेलीविजन या कहें कि मनोरंजन की दुनिया में तेजी से पैर पसार रहे ओटीटी प्लेटफार्म(OTT platform) को लेकर इन दिनों चर्चाओं का बाजार गर्म(market of discussions is hot) है। उस पर आने वाली बेव सीरीज(web series) की जितनी चर्चा होती है, उतनी ही उसमें परोसे जाने वाली नग्नता या फूहड़ता को लेकर चिंता जताई(Raised concerns about nudity or promiscuity served) जाती है। इसी विषय को केन्द्र में रखकर दैनिक जागरण की हिन्दी दैनिक के एसोसिएट संपादक अनंत विजय ने एक पुस्तक लिखी है- ‘ओवर द टॉप’ । ओटीटी का यही पूरा नाम है।

इस पुस्तक के लोकार्पण अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर और केन्द्रीय सूचना प्रसारण व खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी माना कि ओटीटी ने बहुत से लोगों की प्रतिभाओं को सामने लाने का काम किया है। भारतीय भाषाओं में प्रचुर मात्रा में सामग्री सामने आने लगी है। जरूरत बस इतनी है कि इसकी दिशा ठीक रहे। इसके लिए जो जरूरी है, वह किया जाना चाहिए।

Jharkhand: जमीन विवाद में चार लोगों को कुल्हाड़ी से काटा, तीन की मौत! विवाद का ये है कारण

सकारात्मक चर्चा जरुरी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर का साफ तौर पर मानना है कि हर विषय को पक्ष-विपक्ष के नजरिये से नहीं देखना चाहिए। देश और समाज के सामने बहुत सी ऐसी बातें होती हैं, जिन पर सकारात्मक चर्चा होनी चाहिए। मनोरंजन भी ऐसा ही एक विषय है। ओटीटी के बारे में नकारात्मक चर्चा को दरकिनार करते हुए उन्होंने कहा कि विरोध का यह अर्थ नहीं होना चाहिए कि हम उसे पूरी तरह से बंद ही कर दें। विचार यह होना चाहिए कि हम उसे ठीक दिशा में कैसे चलाएं। ओटीटी के आने के बाद देखना होगा कि कितने लोगों को रोजगार मिला। कितने पिछड़े क्षेत्र के व्यक्तियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला। कितनी विविधतापूर्ण सामग्री देश और समाज के सामने प्रस्तुत होने लगी। इसके साथ ही यदि कुछ विषयों पर ऐसा लगता है कि कुछ कंटेंट या उसका प्रस्तुतिकरण ऐसा है, जिससे समाज या परिवार प्रभावित होता है तो उसे समाज द्वारा ही नकारा जाना चाहिए। हम सुनते आए हैं कि बाजार की मांग पर फिल्में या अन्य मनोरंजन की चीजें बनती हैं। जब दर्शक ही नहीं मिलेंगे तो ऐसा कंटेंट बनाने वाले भी हतोत्साहित होंगे। साथ ही ओटीटी पर सामग्री प्रस्तुत करने वाले निर्माता-निर्देशकों को भी चाहिए कि वे स्व नियंत्रण की नीति बनाएं। अगर वे स्व नियंत्रण की शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो सरकार को चाहिए कि वह ओटीटी के लिए एक दिशा-निर्देश बनाए।

नई तकीनीक का करना चाहिए स्वागत
केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी कहा कि हमें नई तकनीकी का स्वागत करना चाहिए। हम कलात्मक स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। स्वस्थ मनोरंजन के लिए हमने पूरा आकाश खुला छोड़ रखा है। ओटीटी पर परोसे जाने वाली सामग्री को लेकर जब भी हमारे संज्ञान में कोई बात लाई जाती है, हम तत्काल उस पर संबंधित पक्षों से स्पष्टीकरण मांग लेते हैं। हम नवीनता और रचनात्मकता को हमेशा प्रश्रय देते हैं। नई पीढ़ी के लोग, युवा बेहतर कर रहे हैं तो हमें उन्हें प्रोत्साहित ही करना चाहिए। हां, रचनात्मकता के नाम पर फूहड़ता होगी तो हम उस पर नजर रखेंगे और जरूरत करने पर कठोर कार्रवाई भी करेंगे। अनुराग ठाकुर ने बताया कि अन्तरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टीवल के अवसर पर हमने पूरे देश से 75 क्रिएटिव माइंड खोज का अभियान 3 साल पहले शुरू किया था। आज हमारे पास 225 ऐसे युवा हैं, जो बेहतर कंटेंट के साथ आगे आए हैं। हमें इसी प्रकार के प्रयास करने चाहिए।

अनंत विजय की पुस्तक ‘ओवर द टॉप’ का प्रकाशन सुप्रसिद्ध संस्थान प्रभात प्रकाशन ने किया है। लोकार्पण समारोह में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी ने पुस्तक की प्रस्तावना प्रस्तुत की।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.