EPFO: कर्मचारियों को बड़ा उपहार, पीएफ पर ब्याज दर में ‘इतने’ की वृद्धि

अंतिम ब्याज दरों को केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा अनुशंसित दरों को ध्यान में रखते हुए अधिसूचित किया जाता है। यह राशि हर महीने कर्मचारी भविष्य निधि खाते में एकत्र की जाती है।

252

देश में करोड़ाें कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर(A good news for crores of employees) है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) ने भविष्य निधि पर ब्याज दरें तय(Interest rates fixed on provident fund) कर दी हैं। ईपीएफओ ने वर्ष 2023-24 के लिए पीएफ जमा पर 8.25 प्रतिशत की ब्याज दर की घोषणा(Announcement of interest rate of 8.25 percent) की है। पिछले साल 28 मार्च को ईपीएफओ ने वर्ष 2022-23 के लिए 8.15 प्रतिशत की दर की घोषणा की थी। उससे पहले (2021-22) यही दर 8.10 फीसदी थी।

भविष्य निधि वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक अनिवार्य योगदान
कर्मचारी भविष्य निधि वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक अनिवार्य योगदान है। इसके अतिरिक्त, नियोक्ता कंपनियों को भी ईपीएफ खाते में प्रासंगिक योगदान देना आवश्यक है। सरकारी रिटायरमेंट फंड के नाम से मशहूर ईपीएफओ के कुल 6 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं। हर महीने कर्मचारी की कमाई का 12 प्रतिशत ईपीएफ खाते में जमा किया जाता है।

नियोक्ता कंपनियों का ईपीएफ खाते में 3.67 प्रतिशत का योगदान
नियोक्ता कंपनियां ईपीएफ खाते में केवल 3.67 प्रतिशत का योगदान करती हैं, शेष 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) से आवंटित किया जाता है। ईपीएफ की ब्याज दर की समीक्षा ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड द्वारा सालाना की जाती है। यह फैसला वित्त मंत्रालय से सलाह के बाद ही लिया गया है।

अंतिम ब्याज दरों को केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा अनुशंसित दरों को ध्यान में रखते हुए अधिसूचित किया जाता है। यह राशि हर महीने कर्मचारी भविष्य निधि खाते में एकत्र की जाती है लेकिन संबंधित वित्तीय वर्ष के अंत में यानी 31 मार्च को इस खाते की राशि पर साल में केवल एक बार ब्याज मिलता है। जब ईपीएफओ किसी वित्तीय वर्ष के लिए ब्याज दर की घोषणा करता है और वर्ष समाप्त होता है तो ब्याज की गणना प्रत्येक महीने के अंत में खाते में मौजूद धनराशि के अनुसार की जाती है। फिर ब्याज दर की गणना वार्षिक आधार पर की जाती है।

PM Modi: सरकार की गरीब कल्याण योजनाओं के सबसे बड़े लाभार्थी दलित, ओबीसी और आदिवासी हैं: पीएम मोदी

पिछले साल 90,497.57 करोड़ रुपये की शुद्ध आय देने का था लक्ष्य
पिछले साल 90,497.57 करोड़ रुपये की शुद्ध आय देने का लक्ष्य था। सदस्यों के खातों में ब्याज जमा होने के बाद 663.91 करोड़ रुपये के अधिशेष का अनुमान लगाया गया था। पिछले साल जुलाई में श्रम मंत्रालय ने सीबीटी को वित्त मंत्रालय की पूर्व मंजूरी के बिना 2023-24 के लिए ब्याज दरों की घोषणा नहीं करने को कहा था।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.