Prime Minister नरेन्द्र मोदी ने 10 फरवरी को 17वीं लोकसभा में अपने अंतिम संबोधन(Last address in the 17th Lok Sabha) में आशा व्यक्त की कि आने वाले चुनावों से देश के गौरव को और बढ़ायेंगे( coming elections will further enhance the pride of the country.) और लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करेंगे। उनका मानना है कि सरकार जितनी तेजी से लोगों के दैनिक जीवन से बाहर होगी, लोकतंत्र उतना ही मजबूत होगा।
चुनाव लोकतंत्र का एक अनिवार्य पहलू
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 फरवरी को 17वीं लोकसभा के अंतिम सत्र के आखिरी दिन अपने संबोधन में कहा कि चुनाव बहुत दूर नहीं हैं। कुछ लोग घबरा सकते हैं लेकिन यह लोकतंत्र का एक अनिवार्य पहलू है। हम सभी इसे गर्व से स्वीकार करते हैं। उनका मानना है कि हमारे चुनाव देश का गौरव बढ़ाएंगे और लोकतांत्रिक परंपरा का पालन करेंगे, जिससे दुनिया आश्चर्यचकित होती है।
अगले 25 साल देश के लिए महत्वपूर्ण
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि अगले 25 साल हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। राजनीतिक गतिविधियां अपनी जगह हैं लेकिन देश की आकांक्षाएं, अपेक्षाएं, सपने और संकल्प ये हैं कि ये 25 साल ऐसे हैं, जिनमें देश अपेक्षित परिणाम प्राप्त करेगा।
लोकसभा अध्यक्ष के प्रति सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए माना आभार
प्रधानमंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष का सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में आक्रोश और आरोप के भी पल आए हैं। इसके बावजूद सभी स्थितियों को संभालते हुए उन्होंने सूझबूझ के साथ सदन को चलाया और हम सबका मार्गदर्शन किया है।
प्रधानमंत्री के भाषण की अन्य खास बातेंः
-प्रधानमंत्री ने सेंगोल को स्थापित करने और इसको सेरेमोनियल बनाने के काम का भी श्रेय अध्यक्ष बिरला को दिया। उन्होंने कहा कि यह भारत की आने वाली पीढ़ियों को हमेशा-हमेशा उस आजादी के पल से जोड़ कर रखेगा। सदन को पेपरलेस बनाने के लिए भी अध्यक्ष का आभार प्रगट करते हुए उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप 17वीं लोकसभा के दौरान 97 प्रतिशत उत्पादकता रही है।
-वर्तमान लोकसभा में हुए कार्यों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में देश सेवा में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किए गए और अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए सबने अपने सामर्थ्य से देश को उचित दिशा देने का प्रयास किया। एक प्रकार से आज का ये दिवस हम सबकी उन 5 वर्ष की वैचारिक यात्रा का राष्ट्र को समर्पित समय का और देश को एक बार फिर से अपने संकल्पों को राष्ट्र के चरणों में समर्पित करने का अवसर है।
-कोविड के चुनौतीपूर्ण समय को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने संसद सदस्यों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सांसदों ने जरूरत के समय बिना सोचे-समझे अपने विशेषाधिकार छोड़ने का फैसला किया। भारत के नागरिकों को प्रेरित करने के लिए सदस्यों ने अपने-अपने वेतन और भत्ते में 30 प्रतिशत की कटौती करने का निर्णय लिया।
-17वीं लोकसभा की उपलब्धियों को जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके पहले सत्र में दोनों सदन ने 30 विधेयक पारित किए थे। ये अपने आप में रिकॉर्ड है। इस कार्यकाल में बहुत सारे रिफॉर्म्स हुए हैं।
-प्रधानमंत्री ने अनुच्छेद 370 को संविधान को लागू किए जाने में बड़ी रुकावट बताया और कहा कि अनेक पीढ़ियों ने एक संविधान के लिए सपना देखा था। हर पल संविधान में एक दरार, एक खाई नजर आती थी और एक रुकावट चुभती थी। इसी सदन ने अनुच्छेद 370 हटाया और संविधान का पूर्ण प्रकाश के साथ प्रकटीकरण हुआ।
-इसी क्रम में उन्होंने तीन नए आपराधिक कानूनों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद 75 वर्षों तक हमारी न्याय व्यवस्था अंग्रेज़ों के बनाए नियमों से तय होती रही। अब हमारी आने वाली पीढ़ियां गर्व से कहेंगी कि हम ऐसे समाज में रहते हैं जो ‘दंड-संहिता’ नहीं बल्कि ‘न्याय संहिता’ को मानता है।
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