जलोढ़ मिट्टी वह मिट्टी होती है, जो कि बहते हुए पानी के साथ जमा होती है। यह भुरभुरी और ढीली मिट्टी होती है, जिसके कण आपस में नहीं चिपकते हैं।
इस मिट्टी में नाइट्रोजन, पोटास और ह्यूमस की कमी होती है। इसके साथ ही इसे काली कपास की मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि, इस मिट्टी में कपास की खेती अधिक होती है।
यह मिट्टी शुष्क वातावरण के चट्टानों के टूटने से बनती है और पानी के संपर्क में पीली दिखती है। इस मिट्टी में आपको लोहा, चूना और एल्यूम्यूनियम अधिक मिल जाएगा।
जंगली मिट्टी भारत के वनक्षेत्र में पाई जानी वाली मिट्टी है। आपको यह मिट्टी अधिक वर्षा वाले वनों में देखने को मिल जाएगी। घाटी के किनारों पर इस मिट्टी के बड़े कण देखने को मिलते हैं।
यह मिट्टी पूरी तरह से शुष्क मिट्टी होती है, जो कि शुष्क वातावरण में होती है। रेगिस्तानी इलाकों में आपको इस प्रकार की मिट्टी देखने को मिल जाएगी, वहीं, धरती का अधिकांश भाग इसी मिट्टी से बना है।
लैटेराइट मिट्टी लैटेराइट चट्टानों से फूटकर बनी होती है, जो कि चौरस ऊंची भूमियों पर मिलती है। इस मिट्टी में एल्यूम्यूनियम, लोहा और चूना अधिक मिलता है। वहीं, गहरी लैटेराइट मिट्टी में पोटाश और आइरन ऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है।
नमकीन मिट्टी में नमक की मात्रा अधिक होती है, हालांकि यह फसलों के लिए अच्छा नहीं है। क्योंकि, मिट्टी में नमक अधिक होने की वजह से फसलों पर प्रभाव पड़ता है। इस मिट्टी को कल्लर मिट्टी भी कहा जाता है, जिसमें नाइट्रोजन की मात्रा कम होती है।
पीट मिट्टी को जैविक मिट्टी भी कहा जाता है, जो कि दलदली मिट्टी होती है। यह मिट्टी आपको उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और केरल में देखने को मिल जाएगी। इस मिट्टी में फॉसफॉरस और पोटाश की मात्रा अधिक नहीं होती है।