स्वामी एक राष्ट्रीय संत हैं, स्वामी जी धर्म-अध्यात्म सहित राष्ट्र (Nation) के बारे में महत्वपूर्ण विचार दे रहे हैं। हिंदू धर्म के कार्य में कठिनाइयां आती हैं, धार्मिक कार्य करते हुए कैसे आगे बढ़ा जाए? जब यह प्रश्न उठता है तो स्वामी सभी हिंदुओं (Hinduism) के लिए मार्गदर्शक बन जाते हैं। भारत में सभी हिंदुओं (Hindus) के लिए स्वामी को पितातुल्य दर्जा प्राप्त है। सभी हिंदू आसानी से सलाह के लिए उनके पास जाते हैं और आगे बढ़ने का रास्ता ढूंढते हैं। स्वामी जी ने भारतीय संस्कृति (Indian Culture) की प्राचीन परंपरा को संप्रेषित करने का महान कार्य जारी रखा है। राम मंदिर निर्माण के दौरान स्वामी जी ने कई समस्याओं का समाधान किया। भगवान कृष्ण द्वारा स्वयं अर्जुन को भगवद गीता सुनाने के बाद अर्जुन को धर्मयुद्ध के लिए प्रेरणा मिली, यानी इस मार्गदर्शन के बाद अर्जुन कर्तव्य के लिए सिद्ध हुए। तदनुसार, हिंदू जनजागृति समिति (Hindu Janajagruti Samiti) के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे (Ramesh Shinde) ने अपील की कि हिंदुओं को स्वामीजी के मार्गदर्शन में हिंदू राष्ट्र (Hindu Nation) की स्थापना, धर्म की स्थापना और मंदिरों की सुरक्षा के लिए काम करना चाहिए।
रमेश शिंदे 14 जनवरी को मुंबई के दादर में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक में आयोजित स्वामीजी के अमृत महोत्सव सम्मान समारोह में बोल रहे थे। समारोह का आयोजन स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक और हिंदू जनजागृति समिति द्वारा किया गया था।
कार्यक्रम में इनकी रही उपस्थिति
इस अवसर पर विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोरे, विधायक और भाजपा प्रवक्ता अतुल भातखळकर, भाजपा विधायक एडवोकेट आशीष शेलार, सांसद राहुल शेवाले, ‘सुदर्शन समाचार’ के संपादक सुरेश चव्हाणके और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सावरकर उपस्थित थे।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरे देश में मनाया गया: रमेश शिंदे
इस मौके पर रमेश शिंदे ने आगे कहा कि हम रामराज्य को आदर्श मानते हैं। रामराज्य आदर्श थे, क्योंकि भगवान श्रीराम आदर्श हैं। लेकिन रामराज्य के प्रधान, सेनापति और कोषाध्यक्ष भी आदर्श है। 22 जनवरी का समारोह भारत के बाहर भी मनाया गया। ऐसे शब्दों में रमेश शिंदे ने स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज (Swami Govind Dev Giri Maharaj) का गुणगान किया गया।
स्वामीजी का कार्य स्वामी विवेकानंद की तरह: आशीष शेलार
मैंने स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज की कई पुस्तकें पढ़ी हैं। स्वामीजी की शिक्षा केवल प्रवचन के माध्यम से नहीं, बल्कि वास्तविक क्रिया के माध्यम से है। स्वामीजी की वाणी में सरस्वती माता की सुगंध है। मेरा मानना है कि कलियुग में स्वामीजी का कार्य स्वामी विवेकानंद के समान है। जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पुण्य के माध्यम से है और स्वामीजी विचारों के शिखर हैं।
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