Sextortion: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते समय रहें सावधान वर्ना जा सकती है जान! कैसे, जानिये इस खबर में

भारत में ज्यादातर लोग सेक्सटॉर्शन के मामलों में शर्मिंदगी महसूस करते हैं और बदनामी के डर से विशेषकर किशोर मौत को गले लगा लेते हैं।

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Sextortion में साल दर साल हो रही वृद्धि भारत के साथ ही दुनिया भर के देशों के लिए चिंता का विषय है। विश्व स्तर पर बड़ी संख्या में लोग इसके शिकार (A large number of people globally are its victims) हो रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि यह काफी जानलेवा(Deadly) साबित हो रहा है। चिंता की बात यह है कि हर साल ये आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं।

-एनसीएमईसी को रिपोर्ट(Report to NCMEC) पर नजर डाले तो इसके आंकड़े काफी डरावने हैं।

-2021 में 139 मामलों के बाद 2022 में इसमें तेजी से वृद्धि हुई और यह आंकड़ा 12,000 जा पहुंचा।

-2023 में यह बढ़कर 26,000 तक जा पहुंचा।

2024 में 50 हजार तक जा सकता है आंकड़ा
सेक्सटॉर्शन के बढ़ते हुए आंकड़े से अनुमान लगाया जा रहा है कि 2024 में यह आंकड़ा 50 हजार तक पहुंच सकता है। इस तरह के मामलों के शिकार लोगों में किशों की संख्या काफी अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि सेक्सटॉर्शन के शिकार मात्र 10 प्रतिशत ही लोग पुलिस या संबंधित विभाग में रिपोर्ट करते हैं।

1000 में एक कर लेता है आत्महत्या
परेशान करने वाली बात यह भी है कि एनसीएमईसी को रिपोर्ट करने वाले प्रति 1,000 पीड़ितों में से एक आत्महत्या का शिकार होता है। वित्तीय सेक्सटॉर्शन का घातक परिणाम पश्चिम अफ्रीका में महामारी का रूप धारण कर चुका है।

भारत के ये क्षेत्र बदनाम
वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए यह भी सच है कि यह खतरा किसी विशिष्ट क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। भारत सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में वित्तीय सेक्सटॉर्शन के मामले सामने आ रहे हैं। ताजा रिपोर्ट ऐसे मामलों में वृद्धि का संकेत देती है। भारत में मेवात, अलवर, भरतपुर के साथ ही हरियाणा, राजस्थान, झारखंड आदि प्रदेशों के कुछ क्षेत्र इस मामले में काफी बदनाम हैं।

सोशल मीडिया से बनाए जाते हैं शिकार
इंस्टाग्राम, फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों को इसका शिकार बनाया जा रहा है। अपराधी फर्जी अकाउंट बनाते हैं, जो अक्सर युवा और सुंदर महिलाओं के नाम पर होते हैं। वे खास कर किशोरों को अपना शिकार बनाते हैं। अपराधी फॉलो करने के अनुरोध से शुरू करते हैं और फिर जाल में फंस जाने के बाद उनकी ब्लैकमेलिंग का गंदा खेल शुरू होता है। वे बड़े अमाउंट की मांग करते हैं और फिर समझौता करने के लिए मजबूर करते हैं। इसमें कई किशोर बदनामी के डर से आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं।

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 इंस्टाग्राम, फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक महत्वपूर्ण गोपनीयता परिवर्तन को लागू करके इसे रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। नाबालिगों के लिए उनके फॉलोअर्स और फॉलोइंग सूचियों को निजी रखने के लिए डिफ़ॉल्ट सेटिंग बनाकर सेक्सटॉर्शन की घटनाओं के जोखिम पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।
हालांकि इसके लिए वैश्विक प्रयास आवश्यक हैं।

बदनामी का डर
भारत में ज्यादातर लोग इस तरह के मामलों में शर्मिंदगी महसूस करते हैं और बदनामी के डर से विशेषकर किशोर मौत को गले लगा लेते हैं। इसलिए इस तरह के मामलों में जागरुकत फैलाकर किशोरों की जान बचाई जा सकती है। अब समय आ गया है कि बच्चों और भविष्य को इस तरह के खतरों से बचाया जाए। भविष्य की साइबर दुनिया की चुनौतियों का सामना करने के लिए लिए तैयार रहने की आश्यकता है। फिलहाल ये शुरुआती चरण है। भविष्य में यह खतरा और बढ़ना निश्चित है। यदि हम अभी नहीं चेते तो इसके दुष्परिणाम काफी भयावह हो सकते हैं।

खतरों से बचने के उपाय
-जब माता-पिता अपने बच्चे को उदास या तनावग्रस्त देखें तो उनसे खुलकर बात करें।
-रेडियो जॉकी सेक्सटॉर्शन पर जागरूकता फैलाएं और बताएं कि इस तरह के मामलों की शिकायत कैसे करें।
-मीडिया हाउस किशोर बच्चों के माता-पिता से उनकी गतिविधियों पर ध्यान रखने का आग्रह करें।
-मंत्रालय द्वारा यूट्यूब विज्ञापन से भी इस तरह के मामलों में जागरुकता फैलाई जा सकती है।
-अपनी शर्म और बदनामा का डर त्याग कर परिवार और दोस्तों से ऐसे मामलों पर चर्चा करें।
-अन्य सभी संचार मंचों का उपयोग जागरुकता फैलाने के लिए किया जा सकता है।
– नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराएं।

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