Veer Savarkar: स्वातंत्र्यवीर सावरकर के गीत ‘हमारा प्रियकर हिंदुस्थान’ में इकबाल के गीत’ सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा’ से भी उत्कट देश प्रेम की अभिव्यक्ति

'हमारा प्रियकर हिंदुस्थान' गीत के बोल पर ध्यान देने पर यह गीत मोहम्मद इकबाल के लिखे गीत 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा' से भी अधिक देश प्रेम से समृद्ध और परिपूर्ण नजर आता है।

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Veer Savarkar के लेखन, साहित्य, कविता और गीत(Writing, Literature, Poetry and Songs) में उनके भारत के समृद्ध इतिहास, मिट्टी की खुशबू, वीरों के त्याग और समर्पण(Rich history of India, the fragrance of the soil, the sacrifice and dedication of the heroes) के साथ ही देश प्रेम(patriotism) की पराकाष्ठा के दर्शन होते हैं। उनके गीत हमें एक ऐसी यात्रा पर ले जाते हैं, जिसमें देश की सुंदरता और विभिन्नता के साथ ही इतिहास पुरुषों के देश प्रेम की अथाह सागर के दर्शन होते हैं। वीर सावरकर का 1908 में लिखा गया एक गीत ‘हमारा प्रियकर हिंदुस्थान’ एक ऐसा ही गीत है। हालांकि यह गीत मराठी में लिखा गया है, लेकिन अब जल्द ही यह हिंदी में उपलब्ध होने जा रहा है।

गीत के एक-एक शब्द मोती
वीर सावरकर के पौत्र और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने इसे हिंदी में अनुवाद कर पूरे देश के लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया है। गीत के एक-एक शब्द जैसे मन-मस्तिष्क में उतरते चले जाते हैं। राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत इस गीत में जहां भारत पर हमें गर्व होने की बात कही गई है, वहीं राष्ट्र को सबसे प्यारा बताते हुए अपने त्याग और समर्पण के चरम भाव को दर्शाया गया है। देशभक्ति का ऐसा भाव बहुत कम ही गीतों में देखने को मिलता है।

इकबाल के गीत से भी अधिक प्रभावशाली
इकबाल ने भारत को एक बगीचा माना है और देश के लोगों को बुलबुल कहा है। इसका अर्थ स्पष्ट है, जिस तरह बगीचा सूखने के बाद बुलबुल दूसरे बगीचे में चले जाते हैं, उसी तरह वे भी देशपर संकट आने पर दूसरे देश में चले जाएंगे। परंतु वीर सावरकर मात्र देशरक्षा के लिए शत्रु से मरते दम तक लड़ने की बात करते हैं।

प्राणों से भी प्रिय हिंदुस्थान
स्वातंत्र्यवीर सावरक के गीत ‘हमारा प्रियकर हिंदुस्थान’ में देश पर अभिमान करते हुए हुए भारत को प्राणपन से प्रिय बताया गया है। इसे अपना प्राण बताते हुए दुनिया के सभी देशों से सुंदर और समृद्ध बताया गया है। अन्य देशों से तुलना करते हुए आगे के अंतरा में कहा गया है कि पर्वत तो हमने बहुत देखे हैं लेकिन भारत की बात ही कुछ और है। इसका अलग महत्व है। इसके आगे की पंक्ति में गंगा के पानी की तुलना अमृत से करते हुए उसकी पवित्रता और महिमा का का बखान किया गया है।

देशप्रेम की पराकाष्ठा के दर्शन
इस देश की रक्षा के लिए ही वीरमाता जिजा बाई ने शिवाजी महाराज को जन्म दिया और देश की रक्षा करने के लिए ही गुरु श्री. गोविंदसिंहजी के चारो पुत्रों ने बलिदान दिया था!

शत्रुरुधिर अभिषेक करेंगे रखने तेरा मान
गीत की अंतिम पंक्तियों ,’करे आमरण मातृभूमि के कारण हम संग्राम,शत्रुरुधिर अभिषेक करेंगे रखने तेरा मान’ में तो देश प्रेम के अद्भुत बाव हमें देखने को नहीं मिलते हैं। इनमें मातृभूमि के लिए मरते दम तक संग्राम करने और दुश्मनों के खून से अभिषेक कर देश को सुरक्षित रखने का संकल्प है।

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गीत संगीत संयोजन टीम
‘हमारा प्रियकर हिंदुस्थान’ मूलतः मराठी गीत है, जिसे उनके पौत्र रणजीत सावरकर ने हिंदी में अनुवादित किया है, जबकि  प्रांजल अक्कलकोटकर ने इसे गाने के साथ ही संगीदतबद्ध भी किया है। संगीत संयोजन ऋषिकेश देसाई और लश्रेयस कांबले ने किया है, जबकि तालवाद्य संयोजन ऋत्विक तांबे और सह संगीत संयोजन मिहिर दास ने किया है। गीत को वीर सावरकर स्टुडियो,दादर में संगीतबद्ध किया गया है, जबकि ध्वनिमुद्रण और  ध्वनिमिश्रण शैलेश सामंत ने किया है। इसकी वीडियो एडिटिंग दिनेश भात्रे ने किया है।

 

मराठी से हिंदी अनुवादित गीत
धरती का अभिमान ।
हमारा प्रियकर हिंदुस्थान
यही हमारा प्राण ।
हमारा सुंदर हिंदुस्थान ।

बहुत हैं देखे, बहुत सुने हैं
देश-प्रदेश महान
आंग्ल अमरिका मिसर जर्मनी
चीन तथा जापान ।१।

गिरि बहुत, पर सब में तेरे
हिमगिरी का है मान
कौन नदी दे श्रीगंगासम पूत-सुधाजल-पान ।२।

कस्तूरी-मृग-परिमल-पूरित
तेरा वन-उद्यान
प्रातःकाले कोकिल-किलकिल कूजित आम्रोद्यान। ३।

यज्ञ धूम से गंधित जिसका
मधुर सामरव गान
जहाँ देवता करने आते
सोम – सुधा रस पान। ४ ।

जिजा जन्म दे जहा शिवाजी,
गुरुपुत्र करे बलिदान
पुण्यभूमि तूं! पितृभूमि तूं! तूं सबका अभिमान। ५।

करे आमरण मातृभूमी के
कारण हम संग्राम
शत्रुरुधिर अभिषेक करेंगे रखने तेरा मान।

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