Veer Savarkar की 58वें आत्मार्पण दिवस(58th death anniversary) के अवसर पर 25 फरवरी को दादर स्थित स्वातंत्र्वीर सावरकर सभागार(Swatantraveer Savarkar Auditorium) में नाटक ‘संगीत उत्तरक्रिया'(Drama ‘Musical Response’) का प्रथम प्रयोग संपन्न हुआ। स्वातंत्र्यवीर सावरकर(Swatantraveer Savarkar) द्वारा लिखित और अनंत वसंत पणशीकर द्वारा निर्मित इस नाटक(This play produced by Anant Vasant Panshikar) का निर्माण महाराष्ट्र सरकार(Maharashtra Government) और पु. ल. देशपांडे महाराष्ट्र कला अकादमी(Maharashtra Academy of Arts,), दुर्लभ नाटक संरक्षण योजना 2023-24 के तहत संग्रह के लिए चुना गया है।
पानीपत की दूसरी लड़ाई में मराठों ने अब्दाली की सेना को हरा दिया और पानीपत की प्रथम लड़ाई में हार का बदला ले लिया। उसकी कहानी को ‘संगीत उत्तरक्रिया’ नाटक में चित्रित किया गया है। नाटक के प्रदर्शन के बाद निर्माता अनंत वसंत पणशीकर ने कहा कि नाट्य संपदा कला मंच ने नाटक में उत्साहपूर्वक भाग लिया। पु. एल. देशपांडे महाराष्ट्र कला अकादमी, एक दुर्लभ नाटक को संरक्षित करती है।
अपना अनुभव किया साझा
पुरानी यादों को ताजा करते हुए उन्होंने कहा कि 25 फरवरी को स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक में नाटक ‘माझी जन्मथेप’ का विमोचन भी हुआ था। ‘संगीत उत्तरक्रिया’ नाटक वीर सावरकर द्वारा लिखा गया था। हमने स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक पर डेढ़-दो महीने तक रिहर्सल की। इसलिए, इस नाटक का प्रीमियर यहां करके मुझे बहुत खुशी हो रही है। नाटक के कलाकार, तकनीशियन, निर्देशक डॉ. अनिल बांदिवडेकर, सुहास सावरकर, संगीत निर्देशक मयूरेश मालगांवकर, नेपथ्यकर और सम्मान प्राप्त सचिन गावकर, महाराष्ट्र सरकार, पु.ल. देशपांडे महाराष्ट्र कला अकादमी के संयोजक शुभंकर करांडे की सराहना की और नाटक देखने के लिए समय निकालने के लिए केदार बापट, रामदास भटकल और वीर सावरकर के पौत्र तथा स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर, कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे के प्रति आभार व्यक्त किया।
‘संगीत उत्तरक्रिया’ नाटक के कई स्थानों पर मंचन की अपील
स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने नाटक के कलाकारों, निर्देशकों और निर्माताओं को बधाई देते हुए कहा कि ‘संगीत उत्तरक्रिया’ नाटक मंचन जरूरी था। इसमें सावरकर का एक भी शब्द नहीं बदला गया है। राष्ट्रीय अपमान का बदला अवश्य लिया जाना चाहिए। यह नाटक दिखाता है कि उनका पालन-पोषण कैसे हुआ। 50 से अधिक वर्षों तक मराठों ने भारत के दो-तिहाई हिस्से पर शासन किया। दिल्ली हमारे अधीन थी। ये इतिहास हमें और हमारे स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता है। हमें देश का सच्चा इतिहास जानना चाहिए। पेशवा के प्रतिनिधि के रूप में 50 वर्षों तक दिल्ली पर शासन करने वाले महादजी शिंदे का इतिहास इसमें दिखाया गया है। दिल्ली के पास वह चीज़ थी, जिसे आज ‘पावर ऑफ़ अटार्नी’ कहा जाता है। पूरे देश पर हमारा अधिकार था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे स्कूलों में यह नहीं पढ़ाया जाता। आज सरकार के मुखिया भी शिंदे हैं। इस अवसर पर उन्होंने आशा व्यक्त की कि वे ‘संगीत उत्तरक्रिया’ नाटक देखने के लिए प्रेरित होंगे और नाटक के माध्यम से वास्तविक इतिहास लोगों के सामने आएगा, साथ ही उन्होंने अपील की कि नाटक ‘संगीत उत्तरक्रिया’ पर फिल्में बनाई जानी चाहिए।
वास्तविक इतिहास नाटक के रूप में प्रस्तुत
इस अवसर पर स्मारक के कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे ने निर्माता अनंत पणशीकर को बधाई दी और नाटक के कलाकारों, निर्माताओं और निर्देशकों का अभिनंदन करते हुए कहा कि एक व्यावसायिक नाटक करते समय इसे प्रस्तुत करने का विचार आया, जो राष्ट्रहित की बात बहुत बड़ी बात है। उन्होंने ‘माझी जन्मथेप’ का प्रयोग किया। यह भी कठिन था और नाटक ‘संगीत उत्तरक्रिया’ का मंचर भी आसान नहीं था। हमें बस इतना बताया गया है कि पानीपत की हार। हमें यह नहीं सिखाया गया कि माधवराव पेशवा ने उसका बदला लिया। वीर सावरकर ने कहा था कि, ‘जो काम व्याख्यानों से नहीं होता, वह काम नाटक से होता है।’ इसके लिए उन्होंने ‘नाटक’ का माध्यम चुना था। वास्तविक इतिहास इस नाटक के रूप में सबके सामने आ रहा है।