Farmers Protest: किसान आंदोलन किसका षड्यंत्र, क्या है मकसद? इस बात की चर्चा

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Farmers Protest: किसान यूनियन(farmers union) के आंदोलन की आग की लपटें पंजाब , हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में ही उठ रही हैं। ऐसा लगता है कि पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार(Aam Aadmi Party government) किसान यूनियन के आंदोलन की आग को हवा दे रही है। लोकसभा चुनाव(Lok Sabha Elections) से ठीक पहले अचानक आंदोलन को शुरू करने की मंशा किसी से छिपी नहीं है। हरियाणा में बीजेपी सरकार(BJP government in Haryana) ने आंदोलनकारियों के बीच छुपे अराजक तत्वों पर जब डंडा चलाया तो किसान आंदोलन की असलियत सामने आ गई है ।

पंजाब बना आंदोलन का केंद्र
पंजाब में किसान यूनियन आंदोलन किसानों की समस्या को लेकर कम दूसरे कारणों से ज्यादा चर्चा में है। खालिस्तानियों के समर्थन और विदेशों से फंडिंग के आरोप आंदोलनकारियों पर लगते रहते रहे हैं। पंजाब में आंदोलन के उग्र होने की एक वजह है, पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार का किसान आंदोलन को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से समर्थन देना है। पंजाब के सिख नामधारी संगत के जसवंत सिंह कहते हैं कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान जब विपक्ष में थे, तो दावा करते थे कि अगर वो पंजाब में सरकार बनाते हैं तो प्रदेश सरकार एमएसपी देगी, लेकिन अब वो केन्द्र सरकार के पाले में गेंद क्यों डाल रहे हैं।

1979 का विचार है एमएसपी
केन्द्र सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं । फसल बीमा योजना, किसान सम्मान निधि, उन्नत बीज और खेती का विविधीकरण प्रोत्साहन स्कीम आदि । किसानों को उनकी फसलों पर एमएसपी देना 1970 दशक का विचार था । जब देश अनाज पर आत्मनिर्भर नहीं था। देश अब अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है। इस स्थिति में एमएसपी बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है।

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लोकसभा चुनाव है आंदोलन भड़कने की वजह
लाख टके का सवाल यह है कि किसान आंदोलन की आग केवल दिल्ली की सीमाओं और पंजाब, हरियाणा तक ही क्यों सीमित है। गहराई में जाकर विचार करने पर यह स्पष्ट होता है कि इसका कारण आम आदमी पार्टी की सरकार ही है। इस आंदोलन का लोकसभा चुनाव में लाभ उठाना ही एक मात्र उद्देश्य है। इसलिए ऐन लोकसभा चुनाव से पहले यह किसान आंदोलन शुरू करने की बात कही जा रही है, लेकिन उसका यह मंशा पूरी होगी, इसमें संदेह है, क्योंकि आज के मतदाता काफी समझदार हो गए हैं।

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