राजधानी भोपाल (Bhopal) के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Rajiv Gandhi Technological University) के 19.48 करोड़ रुपये का घोटाला (Scam) सामने आया है। गांधी नगर थाना (Gandhi Nagar Police Station) ने रविवार को आरजीपीवी के कुलपित, रजिस्ट्रार, वित्त नियंत्रक सहित अन्य लोगों के खिलाफ साजिश रचते हुए धोखाधड़ी (Fraud), जालसाजी करने का केस दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत भी कार्रवाई की है। आरोपितों पर 19 करोड़ 48 लाख रुपये हड़पने का आरोप है। हालांकि, इस मामले में अभी किसी की गिरफ्तारी (Arrest) नहीं की गई है।
गांधीनगर थाने के एएसआई प्रवीणसिंह बैस ने बताया कि रविवार को आरजीपीवी के कुलसचिव डॉ. मोहन सेन ने लिखित शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें विवि के विद्यार्थियों की एफडी की जमा 19 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को षड़यंत्र पूर्वक हड़पने का जिक्र किया गया था। शिकायत के साथ प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों के आधार पर कुलपति प्रो. सुनील कुमार, तत्कालीन कुलसचिव आरएस राजपूत, वित्त नियंत्रक ऋषिकेश वर्मा, मयंक कुमार , दलित संघ सोहागपुर और अन्य के खिलाफ धारा- 420, 467, 468, 120 (बी) एवं 7/13-एक (1), 13(2), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है।
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कुलपति को तत्काल हटाया जाए
आरजीपीवी में हुए घोटाले को लेकर छात्र संगठन एबीवीपी के कार्यकर्ता विवि प्रबंधन के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि कुलपति प्रोफेसर सुनील कुमार गुप्ता को तत्काल हटाया जाए। रविवार सुबह भी एबीवीपी कार्यकर्ता कुलपति के कक्ष के बाहर धरने पर बैठ गए। हालांकि इस मामले में तत्कालीन कुलसचिव को निलंबित कर दिया गया है। एबीवीपी कार्यकर्ता इस मामले की जांच रिपोर्ट को भी सार्वजनिक करने की मांग पर अड़े हुए हैं।
किसी भी दोषी को बख्शेंगे नहीं: मंत्री परमार
मामला तूल पकड़ता देख रविवार को उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार यूनिवर्सिटी पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे एबीवीपी कार्यकर्ताओं से मिले। उन्होंने आश्वासन दिया कि उच्चस्तरीय जांच समिति से इस मामले की जांच कराई जाएगी। इस मामले में अभी तक साढ़े 19 करोड़ के हेराफेरी का मामला सामने आया है। व्यापक जांच की जाएगी और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर कुलपति दोषी हैं, तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, इस प्रकरण के संबंध में प्राप्त शिकायत की जांच के लिए पिछले माह तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। गठित जांच समिति द्वारा शनिवार को प्रारंभिक जांच प्रतिवेदन शासन को प्रस्तुत किया गया। जांच प्रतिवेदन के अनुसार 19.48 करोड़ रुपये अनाधिकृत रूप से अपराधिक षड्यंत्र कर निजी खातों में अंतरित करना पाया गया। शासन द्वारा प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अब प्रकरण में एफआइआर दर्ज कराई जाएगी।
इस प्रकरण में कार्रवाई करते हुए तत्कालीन कुलसचिव आरएस राजपूत को निलंबित कर दिया गया है। वहीं सेवानिवृत्त वित्त नियंत्रक एचके वर्मा के विरुद्ध भी अलग से कार्रवाई की जाएगी। प्रकरण में राजीव गांधी विश्वविद्यालय के संबंधित शाखा में पूर्व से पदस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों के निलंबन का निर्णय लिया गया है। संबंधित शाखा में संबंधित पदों पर अन्य अमले की पदस्थापना की जाएगी।
350 पन्नों की जांच रिपोर्ट में हुए कई बड़े खुलासे
शासन द्वारा गठित समिति ने अपनी 350 पन्नों की रिपोर्ट में विवि हुए करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के दस्तावेज भी दिए हैं, जिनके सामने आने से कई और राज खुलेंगे। इसके अलावा विवि द्वारा भी करीब नौ पेज की एक विशेष रिपोर्ट भी जांच रिपोर्ट के साथ संलग्न की गई है, जो विवि में हुए फर्जीवाड़े को उजागर करेगी। इस मामले में घोर अनियमतता की बात सामने आई है। इसलिए कुलपति सुनील कुमार गुप्ता पर भी गाज गिर सकती है, क्योंकि कुलपति का पद राजभवन के अधिकार क्षेत्र में आता है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में विशेष उल्लेख किया है कि उन्होंने कुलपति को तलब किया था, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए और उन्होंने लिखित जवाब भेज दिया। कुलपति सुनील कुमार को लेकर अभाविप में भी रोष है। उन्होंने शनिवार को कुलपति की नेम प्लेट को उखाड़ फेंका था।
बताया जा रहा है कि धोखाधड़ी कर साढ़े 19 करोड़ रुपये प्रायवेट अकाउंट में ट्रांसफर किए गए। एक्सिस बैंक में पांच खातों की जानकारी है, जबकि जांच में एक्सिस बैंक में सात खाते पाए गए हैं। विवि के रिकार्ड सही नहीं होने के कारण प्रभारी अधिकारियों और जांच समिति को काफी मशक्कत करनी पड़ी और पैन नंबर के आधार पर बैंकों से ही जानकारी मागी गई कि उनके बैंक में विवि के कितने खाते है। जिसमें यह खुलासा हुआ कि विवि के दो खाते एक्सिस बैंक की कटारा ब्रांच में हैं। इनमें से एक सेविंग है और दूसरा करंट खाता है, जहां विवि के करोड़ों रुपये जमा हुए हैं। समिति को बैंक से प्राप्त जानकारी में सामने आया है कि विवि की कटारा ब्रांच के खाते में 50 करोड़ रुपये रखे गए थे। उसमें से 9.5 करोड रुपये एक निजी संस्थान या व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए हैं और अब विवि के उक्त खाते में 40.5 करोड़ रुपये हैं। इसी तरह विवि का एक खाता पिपरिया ब्रांच में होने की बात भी कही जा रही है, जिसमें 100 करोड़ रुपये रखे गए हैं।
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