President Draupadi Murmu ने 4 मार्च को कहा कि स्वास्थ्य सेवा(Health care) एक ऐसा पेशा है, जिसमें धनोपार्जन यदि मुख्य लक्ष्य हो, तब समाज का कल्याण संभव नहीं(welfare of society is not possible) है। इसीलिए स्वास्थ्य पेशेवरों(health professionals) को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए करुणा, दया और परोपकार जैसे मूल्यों को अपनी चारित्रिक विशेषता बनाना है।
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के मेडिकल छात्रों और मेडिकल व गैर मेडिकल सलाहकारों के एक समूह ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। वे डॉ. बाबासाहब आंबेडकर वैद्यकीय प्रतिष्ठान के ‘सेवांकुर भारत’ कार्यक्रम के तहत दिल्ली में हैं।
बाबा साहब आंबेडकर के जीवन से सीख लेने की जरुरत
राष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि हम बाबा साहब आंबेडकर के जीवन से सीख सकते हैं कि कैसे अपनी व्यक्तिगत सफलताओं का सदुपयोग समाज-कल्याण के लिए किया जाए। हमें बाबा साहब के आदर्शों पर चलकर सामाजिक न्याय, समानता और बंधुत्व की भावना के लिए काम करना है।
राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान
इस अवसर पर राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि डॉ. बाबासाहब आंबेडकर वैद्यकीय प्रतिष्ठान पिछले तीन दशकों से जन कल्याण की भावना से जरूरतमंदों को कम दरों पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए काम कर रहा है। यह कौशल विकास, रोजगार सृजन और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सशक्तीकरण के लिए भी काम कर रहा है। उन्होंने समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए इस एनजीओ की सराहना की।
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राष्ट्रीय अखंडता और एकता को बढ़ावा
राष्ट्रपति ने कहा कि 1997 में शुरू हुआ सेवांकुर भारत कार्यक्रम राष्ट्रीय अखंडता और एकता को बढ़ावा दे रहा है। यह युवाओं को जनसेवा का रास्ता दिखाने और उनमें ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना को मजबूत कर रहा है। उन्होंने सेवांकुर भारत के अंतर्गत चलाये जा रहे ‘अवकाश के दौरान – राष्ट्र के लिए एक सप्ताह’ कार्यक्रम की सराहना की, जिसके तहत छात्र जनजातीय क्षेत्रों में जाते हैं और उनकी समस्याओं को नजदीक से देखते हैं।