Jaunpur: पूर्वांचल के बाहुबली बनाम मुंबई के बाहुबली! किसकी होगी जीत और कौन होगा चित?

कृपाशंकर सिंह को उत्तर प्रदेश की जौनपुर सीट से लोकसभा लड़ने का मौका मिला है। हालांकि यह निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश में है और इस प्रदेश में बीजेपी का दबदबा है, लेकिन कृपाशंकर सिंह के लिए यह चुनाव जीतना आसान नहीं है। तजा घटनाक्रम पर नजर डालें तो प्रधानमंत्री मोदी की लहार के बावजूद कृपाशंकर सिंह को इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

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Jaunpur: भाजपा (BJP) ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची में 195 नामों की सूची जारी कर दी है। उसके बाद उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जौनपुर (Jaunpur) की राजनीती में गरमाहट पैदा कर दी है। पिछले कुछ सालों से जौनपुर में अपनी चुनावी जमीन तैयार कर रहे बाहुबली धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) को बड़ा झटका लगा है। वहीं भाजपा की तरफ से कृपाशंकर सिंह (Kripashankar Singh) के एक नाम ने रोमांच का माहौल पैदा कर दिया है। कृपाशंकर सिंह 1990 और 2000 के दशक में महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति पर नजर रखने वालों के लिए बहुत खास हैं।

कृपाशंकर सिंह को उत्तर प्रदेश की जौनपुर सीट से लोकसभा लड़ने का मौका मिला है। हालांकि यह निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश में है और इस प्रदेश में बीजेपी का दबदबा है, लेकिन कृपाशंकर सिंह के लिए यह चुनाव जीतना आसान नहीं है। तजा घटनाक्रम पर नजर डालें तो प्रधानमंत्री मोदी की लहार के बावजूद कृपाशंकर सिंह को इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

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जौनपुर के मूल मनिवासी हैं कृपाशंकर सिंह
कृपाशंकर सिंह जौनपुर के तेजीबाजार के सहोदरपुर के मूल निवासी हैं। वह पहली बार 1971 में मुंबई आ गए। वह 1972- 89 तक नौकरीपेशा रहे और अलग-अलग कंपीनियों में काम किया। उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1977 से यूथ कांग्रेस, सेवादल होते हुए और कांग्रेस में कम उम्र में शुरू की। पहली बार मुंबई कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने। कांग्रेस के राज्य महासचिव बने। 1994 से 1999 तक एमएलसी रहे। पहली बार 1999 में महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में वह सांताक्रूज वाकोला सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे और चुनाव जीते।

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2021 में भाजपा का थामा दामन
जीत के बाद उनकी लोकप्रियता संगठन में देखते हुए उन्हें विलासराव देशमुख सरकार में गृह राज्य मंत्री बनाया गाया।  इन्होंने 2008-12 तक मुंबई कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभाली। 10 सितंबर 2019 को कांग्रेस से इस्तीफा दिया। इसके बाद 7 जुलाई 2021 को भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। पार्टी ने इन्हें 4 अगस्त 2021 को महाराष्ट्र का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया। 2024 में पार्टी ने इन पर विश्वास जताते हुए इन्हें इनके गृह जनपद जौनपुर से लोकसभा प्रत्याशी बनाया है।

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धनंजय सिंह को जेल
धनंजय सिंह इस क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं। पूर्व सांसद धनंजय सिंह को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब उन्हें जौनपुर कोर्ट ने अपहरण के एक मामले में दोषी करार दिया। सजा 6 मार्च (बुधवार) को हुई और धनंजय को जेल भेज दिया गया है। विशेष रूप से, वह जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने उसी दिन अपने इरादे सार्वजनिक कर दिए थे, जब भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। खबरों के मुताबिक, नीतीश कुमार की जेडीयू और बीजेपी दोनों से टिकट की चाहत रखने वाले धनंजय सिंह को उस समय परेशानी का सामना करना पड़ा, जब बीजेपी ने कृपाशंकर सिंह को मैदान में उतार दिया।

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‘पूर्वांचल के बाहुबली’ कहे जाते हैं धनंजय सिंह
पूर्वी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता धनंजय सिंह 2002 से 2009 के बीच निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में रारी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक थे। बाद में वह 2009 से 2014 तक बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्य के रूप में सांसद रहे। उन्हें ‘पूर्वांचल के बाहुबली’ के नाम से जाना जाता है। 2011 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में बसपा अध्यक्ष मायावती ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। अभी वह जनता दल (यूनाइटेड) के साथ हैं, धनंजय ने हाल ही में ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के माध्यम से, जौनपुर सीट से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की अपनी योजना का संकेत दिया था। 1996 से 2013 के बीच, धनंजय पर यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत चार बार आरोप लगाए गए। 2022 तक, उन पर तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हो चुके थे, जिनमें से कई अभी भी लंबित हैं। कुछ मामलों में गवाहों के मुकर जाने के कारण उन्हें बरी कर दिया गया।

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जौनपुर का राजनीतिक समीकरण
जौनपुर लोकसभा क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण पर नजर डालें तो क्षत्रिय, यादव, मुस्लिम, ब्राह्मण और दलित समुदाय के मतदाता निर्णायक हैं। यहां क्षत्रियों और यादवों का वर्चस्व रहा है और इस वर्चस्व की लड़ाई कई बार आपराधिक हो जाती है। 2019 में दलित, मुस्लिम और यादव वोटरों के एकजुट होने से एसपी-बीएसपी गठबंधन के तहत श्याम सिंह यादव विजयी रहे। वहीं बीजेपी की नजर क्षत्रिय और ब्राह्मण वोटों पर है। ऐसे में अगर धनंजय के जेल होने के बाद उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी या उनके करीबी चुनाव लड़ सकते हैं तो क्षत्रिय वोटों पर सेंध लगने का खतरा बढ़ जाएगा, जो बीजेपी के लिए चिंता का विषय हो सकता है। अगर श्रीकला सपा के टिकट पर चुनाव लड़ती हैं तो यादव-मुस्लिम और ठाकुर वोटों का मेल बीजेपी प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह के लिए टेंशन बढ़ा सकता है।

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