कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के पीछे दिक्कतें पड़ी हुई हैं। अब उन पर इन दिक्कतों का डबल अटैक हो गया है। एक ओर उच्च न्यायालय ने जनता दल (एस) के विधायकों को लालच देने के प्रकरण में जांच की इजाजत दे दी है तो दूसरी ओर उनके मंत्रिमंडल के ही एक मंत्री ने राज्यपाल से उनकी शिकायत की है।
26 जुलाई, 2019 को कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के नेता बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन इस शपथ विधि के साथ ही येदियुरप्पा के साथ विवाद भी चल पड़े। उनके पूर्व के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने उनकी एक ऑडियो क्लिप जारी की थी जिसमें वह चर्चा है जिसमें वर्ष 2019 में जनता दल सेक्युलर के विधायक नगनगौडा कंडकुर्स के पुत्र शारंगगौडा को धन और मंत्रीपद की लालच दी थी।
पहला झटका
इस प्रकरण में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और उनकी पार्टी के देवदुर्गा से विधायक शिवनगौडा नाईक और हसन के प्रीतम गौडा का नाम भी था। इस प्रकरण की सुनवाई कर्नाटक उच्च न्यायालय में चल रही थी। जिसमें उच्च न्यायालय ने येदियुरप्पा की भूमिका की जांच के आदेश दे दिये हैं।
दूसरा झटका
येदियुरप्पा को दूसरा झटका उनके ही मंत्री ने दिया है। ग्रामीण और पंचायती राज मंत्री ईश्वरप्पा ने राज्यपाल वजुभाई वाला और प्रभारी अरुण सिंह से मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की शिकायत की है।
ईश्वरप्पा ने लिखा है कि उनके मंत्रालयों के निर्णय मुख्यमंत्री येदियुरप्पा बगैर उन्हें बताए ले रहे हैं। पूर्व की परियोजनाओं को मुख्यमंत्री के अधिकार वाले वित्त मंत्रालय से निधि अंबटन नहीं हो रहा है।
ऐसा है सत्ता समीकरण
कर्नाटक चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ा दल बनके उभरा था। उसके पास 105 विधायक थे लेकिन स्पष्ट बहुमत का अभाव था। जबकि कांग्रेस ने अपने 76 विधायकों के साथ जनता दल सेक्युलर को समर्थन दे दिया। जनता दल सेक्युलर के पास 37 विधायक थे। कांग्रस समर्थित सरकार को 14 महीने में येदियुरप्पा ने गिराकर सत्ता परिवर्तन तो कर दिया लेकिन परेशानियां उनके पीछे पड़ी रही और अब तो उनकी ही पार्टी के मंत्री ने उनके विरुद्ध शिकायत की है।