सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने सोमवार (11 मार्च) को इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) के जरिये राजनीतिक पार्टियों (Political Parties) को मिले चंदे की जानकारी देने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली बेंच ने भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) को चुनावी बॉन्ड की जानकारी कल यानि 12 मार्च तक दाखिल करने का आदेश दिया। साथ ही न्यायालय ने निर्वाचन आयोग (Election Commission) को चुनावी बॉन्ड की जानकारी 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट प्रकाशित करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान स्टेट बैंक के वकील हरीश साल्वे ने दलील दी कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने की तारीख और खरीदने वाले का नाम एक साथ उपलब्ध नहीं है, उसे कोड किया गया है। इसलिए उसे डिकोड करने में समय लगेगा। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आपकी अर्जी में ही कहा गया है कि डोनर्स की जानकारी सील्ड कवर में संबंधित ब्रांच में रखी गई है, जिसे मुंबई मुख्यालय में भेज दिया गया है। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि केवल सील्ड कवर को खोलना है, दिक्कत कहां है।
यह भी पढ़ें- Ayodhya: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पहुंचे अयोध्या, मंत्रियों-विधायकों के साथ करेंगे रामलला के दर्शन
अवमानना की कार्रवाई के लिए तैयार रहिए: सर्वोच्च न्यायालय
कोर्ट ने पूछा कि 15 फरवरी को आदेश दिए जाने के बाद पिछले 26 दिन में स्टेट बैंक ने क्या किया। यह बात आपकी अर्जी में नहीं बताई गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर नाराजगी जताई कि यह याचिका बैंक के असिस्टेंट जनरल मैनेजर की तरफ से दायर हुई है। एसबीआई की गंभीरता इसी बात से जाहिर हो रही है कि एक असिस्टेंट जनरल मैनेजर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में बदलाव की मांग कर रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्टेट बैंक को चेतावनी दी कि अगर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होता है तो अवमानना की कार्रवाई के लिए तैयार रहिए।
दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार देते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को चुनावी बांड की जानकारी 6 मार्च तक चुनाव आयोग को देने का निर्देश दिया था। चुनाव आयोग को यह जानकारी 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करनी थी। साथ ही कोर्ट ने राजनीतिक दलों को अभी तक कैश न होने वाले चुनावी बॉन्ड बैंक को वापस करने का भी निर्देश दिया था।
एसबीआई ने दिया तर्क
इसी के बाद सर्वोच्च न्यायालय की समय सीमा 6 मार्च से 48 घंटे पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सभी पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में मिले चंदे की जानकारी देने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी। स्टेट बैंक ने कहा था कि 6 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी निर्वाचन आयोग को देने में कुछ व्यावहारिक दिक्कतें हैं। स्टेट बैंक ने कहा था कि नाम गुप्त रखने की वजह से नाम को डिकोड करना जटिल कार्य है। स्टेट बैंक ने कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड का कोई केंद्रीय डाटाबेस इसलिए नहीं रखा गया था, ताकि इसकी जानकारी किसी को नहीं मिले।
देखें यह वीडियो-
Join Our WhatsApp Community