पटना/ मुंबई। बिहार में चुनावी सरगर्मियां दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही हैं। इस बीच एनडीए और महागठबंधन में सीटों का बंटवारा हो गया है। इसके साथ ही क्षेत्रीय दलों का इधर-उधर आना-जाना भी अब बंद हो गया है। लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर 143 सीटों पर अपनी किस्मत आजमाने का ऐलान कर दिया है। हिंदुस्तान आवामी मोर्चा के जीतन राम मांझी जहां नीतीश कुमार के जेडीयू के साथ जुड़ गए हैं और वहीं विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी को भाजपा के साथ एडीए में ठिकाना मिल गया है। दूसरी ओर महागठबंधन में भी सीटों का हिसाब-किताब हो गया है। आरजेडी, कांग्रेस और कम्यूनिस्ट पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग हो गई है।
वास्तव में अब चुनावी जंग की शुरुआत हुई है। टिकट लेने-देने की गतिविधियां तेजी से शुरू हो गई हैं। हर दिन पार्टियां अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर रही हैं। उन्हें भी इस बात की जल्दी है ताकि घोषित उम्मीदवार अपने क्षेत्र में जाकर मतदाताओं को रिझाने का काम तेजी से शुरू कर सकें।
शिवसेना तलाश रही है मौका
इस बीच बिहार विधान सभा चुनाव 2015 में जबरदस्त पटखनी खाने के बाद एक बार फिर शिवसेना चुनाव मैदान में अपने 50 उमीदवारों को उतारने की तैयारी कर रही है, हालांकि अभी तक शिवसेना ने इस बारे में अपना पक्ष सार्वजनिक नहीं किया है। बिहार शिवसेना के प्रमुख कैशलेन्द्र शर्मा ने 50 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को प्रप्रोजल भेजा है। चर्चा है कि जब तक भाजपा अपने उमीदवारों के नाम घोषित नहीं कर देती,तब तक शिवसेन अपने उमीदवारों के नाम घोषित नहीं करेगी। इसके पीछे शिवसेना की सोची-समझी चाल बताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार इस बार भाजपा बिहार में कुछ नए चेहरों को मौका दे सकती है, जिसके चलते पुराने उम्मीदवारों का नाराज़ होना स्वभाविक है। इसी का फायदा उठाते हुए शिवसेना उस सीट से नाराज भाजपा उमीदवार के कंधे पर बंदूक रखकर चलाएगी ।