उसके खेतों में पैदा हुई ऐसी वनस्पति जिसे खरीददार भी हंसते-हंसते 85 हजार रुपए प्रति किलो खरीदता है

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किसानी एक ऐसा कार्य है कि व्यक्ति छोटा किसान हो या बड़ा वह प्रतिदिन मौसम, सुविधा और लागत की चिंता में पड़ा रहता है। इन चिंताओं को लेकर जब चलना है तो क्यों न ऐसी खेती की जाए जिससे आर्थिक स्वावलंबन की राह प्राप्त हो जाए। इसी विचार के साथ बिहार का एक किसान वैश्विक मांग वाली एक ऐसी सब्जी की खेती करने लगा कि उसे खरीदनेवाला प्रति किलोग्राम के 85 हजार रुपए हंसते-हंसते दे दे।

यह समाचार औरंगाबाद जिले का है। जो सूखाग्रस्त क्षेत्रों में आता है। यहां की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। किसानों की खेती मुख्यरूप से धान, गेहूं, दालहन आदि है। ये सभी अनाज ऐसे हैं जो परिश्रम, पैसे पर पलते हैं लेकिन मौसम की मार से बच गए तो इतना पैसा भी किसान को नहीं देते कि उसकी लागत निकालकर वो अपना घर खर्च और अगली फसल की अग्रिम तैयारी की व्यवस्था कर पाएं। ये परिस्थितियां पीढ़ियों से एक समान हैं।

इस चक्र को तोड़ा है बिहार के औरंगाबाद के एक किसान अमरेश सिंह ने, उन्होंने विश्व की सबसे महंगी सब्जी की रोपाई अपने खेतों में की और वे अब खुश हैं। इस सब्जी को ‘होप शूट्स’ कहते हैं।

होप शूट्स क्या है?

  • यह विदेशों में उत्पन्न होनेवाली सब्जी है
  • इसके फूल, फल, डंठली सभी का उपयोग होता है, इसे ह्यूमलस-लुपुलुस भी कहते हैं
  • इसके फूल जिसे होप कॉन कहते हैं, का उपयोग बीयर बनाने में होता है
  • डंठलों का उपयोग एंटीबायोटिक दवाई के निर्माण में होता है, इसमें क्षय रोग को खत्म करने के गुण पाए जाते हैं
  • कैंसर के इलाज की दवाइयां बनाने में भी इस सब्जी का उपयोग होता है, इसमें पाए जानेवाले ह्युमुलोन्स और लुपुलोन्स नामक क्षार कैंसर की कोशिकाएं खत्म करने में प्रभावी हैं।
  • यूरोप में इसका उपयोग चमड़ी को चमकदार और युवा दिखने के लिये होता है
  • औषधि के रूप में यह पाचन क्रिया को सुदृढ़ करने, अवसाद से मुक्ति, उत्कंठा से राहत, पीड़ानाशक और अनिद्रा से बचाती है।

https://twitter.com/supriyasahuias/status/1377111139914444809

इसकी बिक्री कहां होती है
11वीं सदी में इस पौधे का पता लगाया गया था। उस काल में इसका उपयोग शराब में स्वाद और रंग को स्थाई रखने के लिए होता था। इसके पश्चात इसके औषधीय गुणों का पता चला। यूरोप के ब्रिटेन, जर्मनी आदि देशों में इसकी खेती की जाती है। भारत के लाहौल में इसकी खेती करने की कोशिश की गई लेकिन सफल नहीं रही।

इसका मूल्य
इसका मूल्य यूरोप में लगभग 1000 पाउंड प्रति किलोग्राम होता है। भारतीय बाजार में बदली परिस्थितियों में भी इसका मूल्य 85 हजार रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से है। इसकी बिक्री मांग के अनुसार होती है।

भारत में ये हैं इसके उत्पादक
अमरेश सिंह की आयु 38 वर्ष है। वे बिहार के औरंगाबाद जिले के करमडीह गांव में रहते हैं। हजारीबाग के संत कोलंबस कॉलेज से उन्होंने 12वीं पास किया है। उनकी इस सफलता को आईएएस अधिकारी सुप्रिया साहू ने ट्वीट किया है। जिसमें उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस की खबर को भी संलग्न किया है।

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