गोली आएगी पर निकम्मी हो जाएगी! जानियें क्यों?

आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डीआरडीओ ने उद्योग द्वारा डिजाइन, विकास और विनिर्माण के लिए 108 प्रणालियों और उप प्रणालियों की पहचान की थी। जिनका निर्माण भारतीय कंपनियों में करने का निर्णय किया गया।

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भारतीय सैन्य व आयुध अनुसंधान के लिए कार्य कर रही डीआरडीओ ने सैनिकों की रक्षा में एक बड़ी सफलता प्राप्त की है। डिफेंस मेटेरियल एंड स्टोर्स रिसर्च एंड डेवलेपमेंट एस्टेब्लिशमेंट ने नई बुलेट प्रूफ जैकेट बनाई है। जिस पर गोली लगते ही निकम्मी हो जाएगी।

यह बुलेट प्रूफ जैकेट पहले निर्मित जैकेट की अपेक्षा हल्की है। फ्रंट हार्ड आर्मर पैनल का परीक्षण टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी में किया गया। इसमें जैकेट ने बीआईएस के मानकों को पूरा किया है। इस जैकेट का भार पहले की जैकेट से लगभग 1400 ग्राम कम है। पहले की जैकेट 10.4 ग्राम थी जबकि, नई बुलेट प्रूफ जैकेट का भार मात्र 9 किलो है।

पहले ‘शक्ति’ आ चुकी है
इसके पहले सैन्य अधिकारी मेजर अनूप मिश्रा ने स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट का निर्माण किया था। यह विश्व का पहला वैश्विक बुलेट प्रूफ जैकेट था। जिसे शक्ति नाम दिया गया था। इसे महिला और पुरुष सैन्यकर्मी धारण कर सकते हैं।

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