विदेश से मिलनेवाले फंड पर भारत सरकार के नए कानून से डंडा चल गया है। जिससे विदेश से संचालित गैर सरकारी संस्थाओं को फंड की कमतरता प्रभावित करने लगी है। सरकार ने एमनेस्टी इंटरनेशनल नामक अंतरराष्ट्रीय संस्था पर एफसीआरए कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उसके बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिये थे। जिसके कारण एमनेस्टी ने भारत में अपने कार्य को बंद कर दिया।
भारत को विदेशी गैर सरकारी संस्थाओं के चंगुल से मुक्त करने के लिए एक सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इन गैर सरकारी संस्थाओं में कई धर्मांतरण दैसे कृत्यों में लिप्त रही हैं तो कई आर्थिक लेनदेन में गंभीर अपारदर्शिता के कारण जांच के लेंस पर हैं। ऐसी ही एक जांच एमनेस्टी इंटरनेशनल की शुरू की गई। आरोप है कि संस्था ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) का उल्लंघन किया है। इसके अंतर्गत सरकार ने एमनेस्टी इंटरनेशनल के सभी बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिये गए। संस्था ने इसके बाद अपने कर्मचारियों को बताया कि वो सरकार की बंदिश के बाद वेतन भुगतान करने में अक्षम है। इसलिए वो अपना कार्य बंद कर रही है। इसके जवाब में भारत सरकार की तरफ से कहा गया है कि एमनेस्टी कार्य करने के लिए मुक्त है। सरकार ने मात्र विदेशी चंदे को नियंत्रित किया है।
क्या है एमनेस्टी इंटरनेशनल?
एमनेस्टी इंटरनेशनल की स्थापना लंदन में 1961 में हुई
गलत आरोपों में सजा काट रहे कैदियों की रिहाई के लिए बनी
1977 में संस्था को नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला।
एमनेस्टी इंटरनेशनल करीब 150 देशों में काम करती है
भारत में संस्था के पहले निदेशक पूर्व रक्षा मंत्री जॉज फर्नांडीज
भारत में पहले भी एमनेस्टी को कई बार कामकाज बंद करना पड़ा
किसी और संस्था के खिलाफ भी कार्रवाई हुई है?
2018 में संस्था ग्रीनपीस के खिलाफ भी ईडी ने जांच शुरू की थी। जिसके कारण ग्रीनपीस को मजबूरन अपने कई कर्मचारियों की नौकरियों से निकालना पड़ा। उसने अपने काम को भी सीमित किया।
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