Misleading Advertisement Case: पतंजलि की दवा(Patanjali’s medicine) के भ्रामक प्रचार मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण मुश्किल में(Baba Ramdev and Acharya Balkrishna in trouble) पड़ गए हैं। सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने आदेश दिया है कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण अगली सुनवाई पर कोर्ट के सामने पेश हों। कोर्ट की अवमानना मामले(contempt of court cases) में नोटिस का जवाब नहीं देने पर नाराज कोर्ट ने दोनों को व्यक्तिगत पेशी का आदेश दिया है। जस्टिस हीमा कोहली(Justice Hima Kohli) की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।
27 फरवरी को कोर्ट ने अवमानना का नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा था। कोर्ट ने कहा था कि इन तीन हफ्ते में पतंजलि अपनी दवाइयों का विज्ञापन नहीं करेगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस बात का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था कि उसने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ क्या कार्रवाई की।
क्या था पिछला आदेश?
सुनवाई के दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से पेश वकील पीएस पटवालिया ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले आदेश में कहा था कि भ्रामक विज्ञापन हटाए लेकिन पतंजलि की ओर से आचार्य बालकृष्ण ने अगले ही दिन प्रेस कांफ्रेंस किया। पटवालिया ने कहा था कि पतंजलि अपना व्यापारिक प्रोपेगंडा करे लेकिन इस तरह के भ्रामक विज्ञापन न दे। पटवालिया ने एक विज्ञापन पढ़ते हुए कहा कि योगा की मदद से हमने शुगर और अस्थमा को पूरी तरह ठीक किया।
आयुष मंत्रायल ने रखा था अपना पक्ष
सुनवाई के दौरान जस्टिस हीमा कोहली ने कहा था कि क्या आयुष मंत्रालय और एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया के बीच करार हुआ था, तब पटवालिया ने हामी भरी। जस्टिस कोहली ने आयुष मंत्रालय का पक्ष पूछा। तब आयुष मंत्रायल की ओर से एएसजी केएम नटराज ने कहा था कि ड्रग्स एंड मैजिक रिमेडीज एक्ट की धारा 8 के तहत हम कार्रवाई करते हैं लेकिन हम उसे लागू नहीं करा सकते। नटराज ने कहा था कि अगर कोई उल्लंघन हुआ है तो पतंजलि को उसका जवाब देना होगा। तब जस्टिस कोहली ने पूछा था कि आपने उन्हें क्या सलाह दी। आप राज्य सरकारों को कैसे सूचना देते हैं।
कानून उल्लंघन के मामले में सवाल
जस्टिस अमानुल्लाह ने पूछा था कि आपने विज्ञापनों को देखकर क्या किया, जिसमें सीधे-सीधे कानून का उल्लंघन दिख रहा है। पूरे देश को घुमाया जा रहा है। जब कानून कह रहा है कि ये उल्लंघन है तब भी आपने दो साल तक इंतजार किया। जस्टिस कोहली ने कहा था कि विज्ञापन में पूरे तरीके से ठीक होने की बात कहना भ्रामक है।
आईएमए ने दायर की है याचिका
याचिका इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने दायर की है। याचिका में बाबा रामदेव के कोरोना वैक्सीन और एलोपैथिक दवाइयों को लेकर दिए गए बयान पर नियंत्रण लगाने का दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है। आईएमए ने याचिका में कहा है कि आयुष कंपनियां भी अपने बयानों से आम जनता को भ्रमित कर रही हैं। वे कहती हैं कि डॉक्टर एलोपैथिक दवाइयां लेते हैं लेकिन उन्हें भी कोरोना ने अपना शिकार बनाया। आईएमए ने कहा कि इस तरह की भ्रामक बयानबाजी पर रोक लगाने की जरूरत है।
विज्ञापनों और बयानों पर रोक लगाने की मांग
आईएमए ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार, एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई), सेंट्रल कंज्युमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) और पतंजलि आयुर्वेद के अलावा केंद्र सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार मंत्रालय को ऐसे विज्ञापनों और बयानों पर रोक लगाने का दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है। उल्लेखनीय है कि बाबा रामदेव के एलोपैथिक पर दिए गए बयानों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है। हाई कोर्ट सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव के बयानों पर आपत्ति जता चुका है।