NCPCR Chief: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) प्रमुख प्रियंक कानूनगो(Priyank Kanungo) ने 19 मार्च को पश्चिम बंगाल में बाल संरक्षण(Child Protection in West Bengal) पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू(President Draupadi Murmu) को विशेष रिपोर्ट सौंपी।
आयोग की 45 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रिपोर्ट पश्चिम बंगाल सरकार और उसके अधिकारियों द्वारा कानूनी प्रक्रियाओं का जानबूझकर उल्लंघन करने को रेखांकित करती है, जिन्हें खुद बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने और उनके सर्वोत्तम हित में काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
95 कॉटेज होम की ही सूची वेबसाइट पर उपलब्ध
रिपोर्ट में पाया गया है कि ‘निराश्रित बच्चे’ के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा समर्थित गैर-सरकारी संगठन द्वारा संचालित 96 कॉटेज होम हैं, जो 8750 निराश्रित बच्चों को सेवाएं प्रदान करते हैं लेकिन 18 जिलों में 95 कॉटेज होम की सूची वेबसाइट पर उपलब्ध है।
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मौलिक अधिकारों से वंचित
रिपोर्ट में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के एक महत्वपूर्ण प्रावधान का कार्यान्वयन नहीं होने के संबंध में कहा गया है कि यह अधिनियम 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत दिए गए शिक्षा के मौलिक अधिकार का एहसास कराने के लिए विभिन्न प्रावधान निर्धारित करता है। आयोग में प्राप्त जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल उन सात राज्यों में से एक है, जिन्होंने अभी तक शिक्षा के अधिकार से वंचित बच्चों को यह अवसर नहीं दिया है।