नई दिल्ली। भारत के लिए तमाम तरह की परेशानियां बो रहा पाकिस्तान अब बासमती चावल के लिए टकराव पैदा करना चाहता है। वह यूरोपियन यूनियन में जियोग्राफी आइडेंटिफिकेशन( जीआई) टैग के भारत के दावे का विरोध करेगा। प्रधान मंत्री इमरान खान के वाणिज्य सलाहकार अब्दुल रजाक दाउद की अध्यक्षता में इस मामले को लेकर सोमवार को एक बैठक हुई थी, जिसमें बासमती चावल के लिए भारत को जीआई टैग देने का विरोध करने का निर्णय लिया गया।
पाकिस्तानी मीडिया द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस बैठक में इंटीलेक्चुअल प्रोपर्टी ऑर्गेनाइजेशन( आईपीओ), चावल निर्यातकों के प्रतिनिधियों (आरईएपी) और कानूनविद् शामिल थे। रीप के सदस्यों ने चिंता जताते हुए कहा कि पाकिस्तान बासमती चावल का बड़ा निर्यातक देश है। इसलिए इस पर भारत की विशिष्टता का दावा उचित नहीं है। दाउद ने उन्हें भरोसा दिलाते हुए कहा कि पाकिस्तान ईयू में भारत के इस दावे का विरोध करेगा। उन्होंने चावल उत्पादकों के हितों की हर हालत में रक्षा करने का वादा किया ।
भारत ने किया है दावा
बता दें कि भारत ने ईयू में बासमती चावल पर पूर्ण स्वामित्व का दावा किया है। फिलहाल यूरोपियन रेग्युलेशन 2006 के मुताबिक बासमती को भारत और पाकिस्तान के उत्पाद के रुप में मान्यता है। अगर भारत को यह टैग मिल जाता है तो पाकिस्तान के बासमती चावल के निर्यात और उसके मू्ल्यांकन पर काफी असर पड़ सकता है। इसलिए पाकिस्तान इस टैग के लिए भारत से टकराव का रास्ता अपनाने को तैयार है।
भारत में बड़े पैमाने पर होती है बासमती की खेती
गंगा और हिमालय के मैदानी क्षेत्रों में पैदा होने वाले बासमती का स्वाद और खुशबू दुनियाभर में मशहूर है। भारत में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, पंजाब जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर बासमती की खेती होती है। हाल ही में मध्य प्रदेश ने भी जीआई टैग की मांग की थी, जिसका पंजाब जैसे राज्यों ने विरोध किया था। भारत हर साल करीब 33 हजार करोड़ रुपए के बासमती चावल निर्यात करता है।
कई उत्पादों को मिल चुका है जीआई टैग
भारत के कई अत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। इसमें चंदेरी- कांजीवरम की साड़ी और दार्जिलिंग चाय समेत अब तक 300 से ज्यादा उत्पाद शामिल हैं। महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर की ब्लू पॉटरी, बनारसी साड़ी, कोल्हापुरी चप्पल, तिरुपति के लड्डू, मध्य प्रदेश के झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गा सहित कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना को भी जीआई टैग टैग मिला हुआ है। इस वजह से इन उत्पादों की विश्व के कई देशों में भारी मांग है।