आगामी ग्रीष्म ऋतु (Summer) में हीट वेव (Heat Wave) और स्ट्रोक (Stroke) को लेकर स्वास्थ्य विभाग (Health Department) ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है। समुदाय को जागरूक करने और स्वास्थ्य (Health) की सुरक्षा (Safety) के लिए शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिला टास्क फोर्स की बैठक हुई। जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (Human Health Program) के अंतर्गत हुई बैठक में अपर जिलाधिकारी (सिटी) आलोक वर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम, भारत सरकार का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसके अंतर्गत जलवायु परिवर्तन के कारण हीट वेव (लू), हीट स्ट्रोक (तापघात), कोल्ड वेव, अतिवृष्टि और सुखा जैसी परिस्थितियों और वायु प्रदूषण के कारण मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव से व्यापक बचाव का कार्यक्रम संचालित किया जाना है।
इससे बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि ग्रीष्म ऋतु के दौरान भीषण गर्मी, सम्भावित हीट वेव (लू), हीट स्ट्रोक (तापघात) तथा वायु प्रदूषण के कारण उत्पन्न होने वाली बीमारियों के लक्षणों, निदान, उपचार तथा बचाव को लेकर चिकित्सकों, पैरा मेडिकल स्टाफ व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इस दौरान नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ राजेश प्रसाद ने बदलते मौसम में फैलने वाली बीमारियों की समय पर सूचना प्राप्त करने एवं बचाव संबंधी गतिविधियां आयोजित करने की बात कही।
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उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम में बच्चों से लेकर वृद्धजन को बेहोशी, मांसपेशियों में जकड़न, मिर्गी दौरा पड़ना, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, अधिक पसीना आना, कमजोरी, चक्कर आना, सांस व दिल की धड़कन तेज होना, मिचली और उल्टी आना, नींद पूरी न होना आदि परेशानी हो सकती है। इससे बचाव के लिए प्राथमिक उपचार बेहद जरूरी है। इसके साथ ही लोगों को घर से निकलने से पहले पानी पीकर निकलना चाहिए और थोड़े-थोड़े समय पर पानी पीते रहना चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं हो पाती। शुद्ध व ताजा भोजन का प्रयोग करने के अलावा भोजन बनने के तीन घंटे बाद बचे हुये भोजन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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