गेहूं पीस रहा तो अदरक आउट ऑफ कंट्रोल! पाकिस्तान में महंगाई ने किया पस्त

165

नई दिल्ली। कर्ज में डूबे पाकिस्तान की परेशानियां दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। एक तरफ जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला है, वहीं अब जनता के सामने भूखे रहने की नौबत आ गई है। महंगाई तो वहां पहले से ही चरम पर थी, लेकिन अब यह आसमान छूने लगी है। यहां तक कि खाने-पीने की चीजें भी इतनी महंगी हो गई हैं कि आम जनता के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है। गेहूं की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने से इमरान सकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
पाकिस्तानी मीडिया से प्राप्त खबरों के मुताबिक 40 किलो गेहूं की कीमत 2400 रुपए हो गई है। यह भाव भी थोक बाजार का है। इस हिसाब से गेहूं का भाव प्रति किलो 60 रुपए हो गया है। पाकिस्तान में गेहूं पहली बार इतना महंगा हुआ है।
दिसंबर 2019 से बढ़ने लगी थी कीमत
दरअस्ल दिसंबर 2019 से ही गेहूं का भाव चढ़ना शुरू हो गया था। उस समय इसकी कीमत 50 रुपए किलो थी। लेकिन इस वर्ष अक्टूबर की शुरुआत में ही इसकी कीमत 60 रुपए तक पहुंच गई है। लोगों की परेशानी को देखते हुए ऑल पाकिस्तान फ्लोर असोसिएशन ने सरकार से गेहूं के खरीद मूल्य निर्धारित करने की मांग की है।
रुस से मंगाया जा रहा है गेहूं
बढ़ते दबाव के बीच पाकिस्तान की इमरान सरकार रुस से गेहूं आयात करने की कोशिश कर रही है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक सरकार ने रुस से 200,000 मीट्रिक टन गेहूं आयात करने का निर्णय लिया है और इस दिशा में तेजी से प्रयास कर रही है।
रोजमर्रा की अन्य चीजें भी महंगी
पाकिस्तान में सिर्फ गेहूं ही नहीं, अन्य जरुरी चीजों के दाम भी आसमान पर हैं। दूध जहां 140 से 150 रुपए प्रति लीटर है, वहीं साग-सब्जियों के दाम भी हवा में बात कर रहे हैं। प्रशासन की तरफ से जारी रेट लिस्ट के मुताबिक, प्याज 90 रुपए किलो, आलू 75 रुपए किलो के भाव पर जा पहुंचा है। इसके अलावा टमाटर का रंग भी पहले से बहुत ज्यादा लाल हो गया है। टमाटर की कीमत 150 रुपए जबकि अदरक का भाव 600 रुपए होने से लोगों की थाली से साधारण सब्जी भी दूर हो गई है। मटर प्रति किलो 225 रुपए, खीरा 117 रुपए, भिंडी 70 रुपए, फूलगोभी 80 रुपए में बिक रही है।
विक्रेता भी परेशान
ऐसा नहीं है कि खाने-पीने के दाम बढ़ने से सिर्फ जनता ही परेशान हैं बल्कि विक्रेता भी महंगाई का रोना रोते नजर आ रहे हैं।अनाज एसोसिएशन ने सरकार से अपने लिए फंड मांगा है। इसके पीछे उसका तर्क है कि वक्त पर फसल पैदा होने से दाम में कमी आएगी।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.