Uttar Pradesh: देश में बढ़ रहे जलवायु परिवर्तन का असर फसलों पर भी पड़ रहा है और तमाम प्रकार के कीट व रोग लग जाते हैं। ऐसे में रसायनिक दवाओं का छिड़काव जरुरी रहता है और किसान देशी पद्धति से छिड़काव करते हैं। लेकिन अब ड्रोन पद्धति से छिड़काव होगा और सीएसए एक साल में 240 किसानों को रिमोट पायलट सर्टिफिकेट प्रदान करेगा। इसके लिए किसानों को सात दिनों का पहले प्रशिक्षण दिया जाएगा।
समझौते पर हस्ताक्षर
चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (सीएसए) कानपुर और ड्रोन आचार्य उडान एलएलपी के बीच 12 अप्रैल को (एमओयू) समझौता ज्ञापन हुआ। कंपनी हेड योगेश दुबे एवं जनरल मैनेजर विरेन्द्र कुमार प्रसाद के जरिये यह समझौता ज्ञापन कुलपति डॉ. आनंद सिंह द्वारा पांच वर्षों की अवधि के लिए हस्ताक्षर किये गये।
सात दिनों का दिया जाएगा प्रशिक्षण
इस माध्यम से विवि के छात्रों एवं किसानों को सात दिनों का प्रशिक्षण कार्यक्रम सीएसए में होगा और रिमोट पायलट सर्टिफिकेट प्रदान किया जायेगा। इस समझौता ज्ञापन पर डा. सी.एल. मौर्या डीन कालेज आफ एग्रीकल्चर एवं रिमोट पायलट सर्टिफिकेट प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रभारी डा. एस.एन. पाण्डेय के भी हस्ताक्षर किये गये।
किसानों को दिया जाएगा ड्रोन रिमोट पायलट सर्टिफिकेट
कुलपति डा. ए.के. सिंह ने बताया कि ड्रोन का प्रयोग कृषि में किसानों की फसल लागत कम करने एवं प्रधानमंत्री के नमो ड्रोन दीदी, किसान ड्रोन के तहत सीएसए कानपुर में रिमोट पायलट सर्टिफिकेट प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ किया जा रहा है। रिमोट पायलट सर्टिफिकेट प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रभारी डा. एस.एन. पाण्डेय ने बताया कि माह अप्रैल में 20 किसानों एवं छात्रों का पहला प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सात दिवस का होगा। इसके उपरांत प्रशिक्षणार्थियों को रिमोट पायलट सर्टिफिकेट प्रदान किया जायेगा। ये प्रशिक्षणार्थी इसके उपरांत भारत सरकार के उड्डयन मंत्रालय के नियमावली के तहत ड्रोन का प्रयोग खेती के लिये कर सकेगें। पूरे वर्ष में लगभग 240 किसानों एवं छात्रों को ड्रोन रिमोट पायलट सर्टिफिकेट प्रदान किया जा सकेगा।