महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार से राजू शेट्टी की अब कट्टी चल रही है। इसके कारण संभावना है कि वे शीघ्र ही महाविकास आघाड़ी सरकार से अलग हो जाएंगे। राजू शेट्टी का आरोप है कि महाविकास आघाड़ी ने उनके साथ धोखा किया है। वैसे राजू शेट्टी का इतिहास रहा है कि उनकी मैत्री किसी भी दल से लंबी नहीं चली है।
पंढरपुर-मंगलवेढा विधानसभा के लिए उप चुनाव होने हैं। इसके लिए नामांकन वापस लेने की अवधि समाप्त होने के बाद भी स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के उम्मीदवार सचिन पाटील ने नामांकन वापस नहीं लिया। इस उप चुनाव ने राज्य की महाविकास आघाड़ी और राजू शेट्टी की स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के बीच दरार को चौंड़ा कर दिया है।
राकांपा के पाटील भी नाकाम
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जयंत पाटील स्वत: राजू शेट्टी को मनाने का प्रयत्न कर रहे थे। लेकिन उसके बाद भी नामांकन वापस नहीं लिया है। इस विषय में जयंत पाटील ने कहा है कि राजू शेट्टी हमारे संपर्क में हैं। उनकी कुछ शिकायतें हैं। उसका समाधान कर लिया जाएगा। लेकिन जयंत पाटील के इन बयानों को धत्ता बताते हुए राजू शेट्टी ने महाविकास आघाड़ी पर उन्हें फंसाने का आरोप लगा दिया।
सोलापुर में स्वाभिमानी समृद्ध
- इस जिले में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन की स्थिति समृद्ध है। इसीलिए ऐसे माना जाता है कि राजू शेट्टी यहां किसी दल को टिकने देना नहीं चाहते।
- वर्ष 2009 में भारत भालके ने राजू शेट्टी की पार्टी से चुनाव लड़ा था। भारत भालके ने उस चुनाव में पूर्व मंत्री विजयसिंह मोहिते पाटील को पराजित किया था।
- वर्ष 2014 में प्रशांत परिचारक ने भारत भालके को बहुत ही कम अंतर से पराजित कर दिया
- वर्ष 2019 के चुनाव में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन महाविकास आघाड़ी में सम्मिलित हो गई थी।
आघाड़ी से नाराज हैं शेट्टी
राज्य में पिछले सवा साल से महाविकास आघाड़ी की सरकार है। सरकार के इस पूरे कार्यकाल में राजू शेट्टी की नाराजगी कई बार सरकार के सामने आती रही है। जिसमें अतिवृष्टि काल में अनुदान की राशि, बिल न भरने पर बिजली आपूर्ति खंडित करने के मामले शामिल हैं। इसी प्रकार केंद्र सरकार का घटक दल रहने के दौरान भी राजू शेट्टी का विरोधी रुख बराबर बना हुआ था। जिसके बाद वे केंद्र सरकार से अलग हो गए। लेकिन राज्य की महाविकास आघाड़ी के साथ भी उनकी पटरी नहीं बैठ रही है।
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