Bihar में तीसरे चरण का मतदान(Third phase voting) सात मई को होगा। इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। राज्य के झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा और खगड़िया में मतदान(Voting in Jhanjharpur, Supaul, Araria, Madhepura and Khagaria) होना है। इसके 48 घंटे पूर्व यानी 5 मई की शाम चुनाव प्रचार(Election campaign) समाप्त हो गया। इस चरण में कुल 54 उम्मीदवारों(Total 54 candidates) के भाग्य का फैसला होना है। इनमें 51 पुरुष और तीन महिला उम्मीदवार हैं। झंझारपुर में 10, सुपौल में 15, अररिया में 9, मधेपुरा में 8 और खगड़िया में 12 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
98 लाख 60 हजार मतदाता करेंगे मताधिकार का प्रयोग
तीसरे चरण में पांच सीटों पर प्रदेश के 98 लाख 60 हजार 397 मतदाता मताधिकार(Right to vote) का प्रयोग करेंगे। इनमें 51 लाख 29 हजार 473 पुरुष तो 47 लाख 30 हजार 602 महिला मतदाता और 322 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। 100 वर्ष से अधिक आयु के 2,716 मतदाता भी हैं। पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या 01 लाख 45 हजार 482 है। तीसरे चरण के मतदान में 11,818 बैलेट यूनिट, 11,818 कंट्रोल यूनिट और 12,861 वीवीपैट इस्तेमाल होंगे। प्रति बूथ 1001 मतदाताओं के मतदान की व्यवस्था है। 32 बूथों का प्रबंधन महिलाएं संभालेंगी। इस चरण में कुल 45 मॉडल बूथ भी बनाए गए हैं। कुल 5,039 बूथों से लाइव बेवकास्टिंग होगी।
झंझारपुर से मुकेश सहनी की प्रतिष्ठा दांव पर
झंझारपुर सीट पर मुंकेश सहनी की वीआईपी के सुमन कुमार महासेठ मैदान में हैं। महागठबंधन में शामिल होने के बाद राजद ने ये सीट वीआईपी को दी है। दूसरी ओर जदयू से इस सीट पर रामप्रीत मंडल हैं। इस सीट पर महागठबंधन का खेल बिगाड़ने के लिए गुलाब यादव मैदान में आ गए हैं। वे कुछ दिनों से बागी हो गए हैं। इस चुनाव में वह वीआईपी से टिकट के दावेदार थे। टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। गुलाब यादव पहले विधायक रह चुके हैं। पिछले साल उनकी पत्नी ने राजद से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय एमएलसी चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी। गुलाब यादव की बेटी जिला परिषद की अध्यक्ष हैं।
खगड़िया सीट पर सीपीएम-लोजपा-रामविलास में टक्कर
खगड़िया सीट महागठबंधन में सीपीएम के खाते में है। सीपीएम ने संजय कुमार कुशवाहा को मैदान में उतारा है, जबकि राजग की तरफ से ये सीट एलजेपी (रामविलास) के हिस्से में है। चिराग पासवान ने यहां महबूब अली कैसर को चलता कर राजेश वर्मा को मैदान में उतारा है। महागठबंधन और राजग दोनों के उम्मीदवार नए हैं। राजेश वर्मा पर एनडीए की सीट बचाए रखने की चुनौती है तो संजय कुमार कुशवाहा पर महागठबंधन को जीत दिलाने की।
अररिया में राजद मुस्लिम-यादव के सहारे
नेपाल से सटे सीमांचल के अररिया लोकसभा सीट में 40 प्रतिशत से ज्यादा यादव और 32 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। इसके बाद भी 2019 में महागठबंधन यहां चुनाव हार गई थी। भाजपा के प्रदीप सिंह यहां से 1.37 लाख मतों से विजयी हुए थे। इस बार प्रदीप का राजद के शाहनवाज आलम से मुकाबला है। कोसी के आंचल में बसे सुपौल में इस बार 15 उम्मीदवार मैदान में हैं। कोसी क्षेत्र की सुपौल लोकसभा सीट पर जदयू के लिए सीट बचाने की चुनौती है। क्योंकि, सामान्य सीट से राजद ने दलित समाज से आने वाले चंद्र हास को टिकट देकर मुकाबले को दलित बनाम अगड़ा करने की कोशिश की है। लालू यादव को उम्मीद है कि एमवाई के साथ यदि दलित वोटर जुड़ जाते हैं तो उनकी जीत की राह आसान होगी।
रोम पोप का और मधेपुरा गोप का
‘रोम पोप का और मधेपुरा गोप का’ यह कहावत यहां चरितार्थ हो पायेगा या नहीं यह कल के मतदान के बाद ही पता चलेगा लेकिन यादव वोटर यहां चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते आ रहे हैं। पूर्णिया से निर्दलीय लड़कर महागठबंधन की नाक में दम करने वाले पप्पू यादव भी यहां से सांसद रह चुके हैं। जदयू ने यहां से वर्तमान सासंद दिनेश चंद्र यादव को एक बार फिर से मैदान में उतारा है, जबकि राजद ने डॉ. कुमार चंद्रदीप को टिकट दिया है। यहां एनडीए में यादव बनाम यादव की लड़ाई है। मधेपुरा का यह चुनाव लालू यादव पर अपने यादव वोटरों पर पकड़ और जदयू के लिए सीट बचाने की चुनौती है।