Jharkhand: ईडी(ED) ने ग्रामीण विकास मंत्री(Rural Development Minister) के पीएस संजीव लाल और जहांगीर आलम(PS Sanjeev Lal and Jahangir Alam) को गिरफ्तार करने के बाद 7 मई को अदालत से 10 दिनों की रिमांड(Remand) मांगी लेकिन अदालत ने दोनों को छह दिनों की रिमांड(Six days remand) दी है। ईडी के अधिकारी(ED officer) 8 मई से दोनों से छह दिनों तक पूछताछ करेंगे। इस दौरान कई राज खुलेंगे।
टेंडर घोटाले का आरोप
ईडी ने कोर्ट में दिए गए रिमांड पिटीशन(Remand petition) में कहा है कि अब तक की जांच में यह जानकारी सामने आई है कि 6 मई को बरामद हुआ सारा पैसा टेंडर घोटाले का है। टेंडर घोटाले से जुड़े धनशोधन के इस मामले में कई बड़े अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। ईडी का दावा है कि इस पूरे प्रकरण में ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी शामिल हैं और उन्हें राजनेताओं का भी पूरा संरक्षण मिला हुआ है। ग्रामीण विकास विभाग के ऊपर से नीचे तक कई अधिकारी इस सांठगांठ में शामिल हैं।
नकद लिया जाता था कमीशन का पैसा
ईडी ने कोर्ट में दिए गए रिमांड पिटीशन में कहा है कि कमीशन का पैसा आमतौर पर नकद ही लिया जाता था, जिसे विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजार कर सफेद किया जाना था। ईडी को अब तक जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक मंत्री आलमगीर आलम का ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) संजीव लाल प्रभावशाली व्यक्तियों के लिए कमीशन लेता था और टेंडर मैनेज करने के साथ विभाग के इंजीनियरों से भी कमीशन के लेनदेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
जेल में बंद इंजीनियर ने किया स्वीकार
ईडी ने कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल में बंद निलंबित चीफ इंजीनियर ने भी यह स्वीकार किया है कि वर्ष 2022 में संजीव लाल ने करोड़ों रुपये कमीशन के तौर पर लिए हैं। ईडी ने संजीव लाल और जहांगीर को इसलिए रिमांड पर लिया है, ताकि अन्य वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारियों सहित अन्य वैसे अन्य लोगों की भूमिका का पता लगाया जा सके, जो कमीशन के जरिए करोड़ों रुपये की कमाई के इस खेल में शामिल हैं। ईडी ने सोमवार की छापेमारी के दौरान 35.23 करोड़ रुपये के साथ दो गाड़ियां भी जब्त की है, जिसका रजिस्ट्रेशन जहांगीर के नाम से है लेकिन उन गाड़ियों का इस्तेमाल संजीव लाल करता था।