छत्तीसगढ़ से नक्सलियों द्वारा अपहृत बनाए गए जवान को छोड़ दिया गया है। उन्हें नक्सलियों ने 6 अप्रैल को अपहृत करने की पुष्टि की थी। जवान की मुक्ति कैसे संभव हो पाई है अभी इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है।
3 अप्रैल, 2021 को जोनागुडा में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के 23 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे और 31 जवान घायल थे। इसमें कोब्रा कमांडो राकेश्वर सिंह मनहास का पता नहीं चल पा रहा था। 6 अप्रैल को नक्सलियों की ओर से इसकी पुष्टि की गई कि राकेश्वर सिंह उनके कब्जे में हैं। इस विषय में मावोवादियों के प्रवक्ता विकल्प ने प्रेस नोट जारी करके सरकार से मध्यस्थ घोषित करने को कहा था। इसके बाद ही जवान को छोड़ने की शर्त रखी थी।
जानकारी के अनुसार राकेश्वर सिंह मनहास को नक्सलियों के कब्जे से मुक्त कराने के बाद तर्रेम के 168वीं बटालियन के कैंप में ले जाया गया था। जहां उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। उनसे अधिकारी पूछताछ भी करेंगे।
24 घंटे बाद हुतात्माओं के शव लाए गए
बीजापुर और सुकमा जिले की सीमा पर स्थित जोनागुडा और टेकलगुड़ी पर मुठभेड़ हुई थी। भास्कर डॉट कॉम की खबर के अनुसार मुठभेड़ स्थल से हुतात्मा जवानों के शव लाने के लिए 24 घंटे का समय लगा। यह चिंता का विषय है कि गांवों में 24 घंटे तक इन वीरों का शव पड़ा रहा। जबकि घायलों को मुठभेड़ वाले दिन ही एयर लिफ्ट कर लिया गया था। उन्हें बैकअप फोर्स ने रात में ही जंगल से निकाल लिया था। इस दौरान नक्सलियों ने जवानों के हथियार और गोलियां लूट ली थीं।