~अंकित तिवारी
Sam Pitroda: आम तौर पर ‘ज़ुबान का फिसलना’ एक दुर्घटना है जब कोई कहना कुछ चाहता है लेकिन गलत शब्दों का चयन पूरी बात का मतलब बदल देता है। किसी से भी ये गलती हो जाना बड़ी बात नहीं है लेकिन ऐसी गलतियां बार बार दोहराने पर वो अपराध का रूप ले लेती हैं। वह एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करते हैं। इस चुनावी मौसम में कांग्रेस के लिए – जैसा कि 2019 के आम चुनावों के दौरान हुआ था – यह समस्या इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सैम पित्रोदा हैं।
बैकफुट पर कांग्रेस
हाल ही में भारत की विविधता के बारे में पित्रोदा की टिप्पणी कांग्रेस को फायदा के बजाय नुकसान अधिक पहुंचा रही है। दरअस्ल यह टेक्नोक्रेट-राजनेता के नस्लवादी और अभद्र बयानों का एक नया दौर है। कांग्रेस पित्रोदा के हालिया ‘विरासत कर’वाले बयान से उबरी भी नहीं थी कि उन्होंने एक और आग लगा दी। यदि पित्रोदा का लक्ष्य इस प्रचार में कांग्रेस की गति को बाधित करना और उसे बैकफुट पर लाना है, तो वह बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।
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अब सैम पित्रोदा ने क्या कहा?
स्टेट्समैन के साथ एक विशेष इंटरव्यू में, पित्रोदा ने भारत को “…विविधताओं वाला देश” बताया। उन्होंने कहा,”हम 75 वर्षों से बहुत खुशहाल माहौल में रह रहे हैं, जहां लोग यहां-वहां के कुछ झगड़ों को छोड़कर एक साथ रहते हैं। हम भारत जैसे विविधता वाले देश को एक साथ रख सकते हैं, जहां पूर्व के लोग चीनी जैसे दिखते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग गोरे जैसे दिखते हैं और शायद दक्षिण के लोग अफ्रीकी जैसे दिखते हैं।” यह बयान जितना अभद्र है, उतना हीं नस्लवादी है, इसके साथ ही गैर कानूनी भी है। पहले की तरह, कांग्रेस ने खुद को पित्रोदा की ताजा टिप्पणियों से अलग कर लिया, लेकिन राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है।
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विरासत कर कानून
दो सप्ताह से भी कम समय पहले, 81 वर्षीय पित्रोदा ने अमेरिकी विरासत कर कानून पर अपने बयान से एक और राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया था। पित्रोदा को एक साक्षात्कार में भारत में अमेरिकी प्रकार के विरासत कर कानून की वकालत करते हुए सुना गया था, जबकि कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि उनके विचार हमेशा पार्टी की स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।
अमेरिका में विरासत कर नहीं
पित्रोदा ने कहा था,अमेरिका में विरासत कर लगता है। यदि किसी के पास 100 मिलियन अमरीकी डालर की संपत्ति है और जब वह मरने से पहले केवल 45 प्रतिशत अपने बच्चों को हस्तांतरित कर सकता है, 55 प्रतिशत सरकार द्वारा ले लिया जाता है। यह एक दिलचस्प कानून है। विरासत कर का तात्पर्य किसी व्यक्ति द्वारा विरासत के हिस्से के रूप में प्राप्त संपत्ति पर राज्य द्वारा लगाए जाने वाले कर से है। अमेरिका में कोई केंद्रीय विरासत कर नहीं है, हालांकि कुछ राज्यों में है।
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सिख विरोधी दंगों पर ‘हुआ तो हुआ’
मई 2019 में, जब पित्रोदा से 1984 के सिख विरोधी दंगों पर सवाल किया गया, तो उन्होंने दंगों में पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी की कथित संलिप्तता पर एक सवाल का “तो क्या हुआ” जवाब देकर हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा था, “अब क्या है ’84 का? आपने 5 साल में क्या किया, उसकी बात करिये। ’84 में हुआ तो हुआ। आपको नौकरियां पैदा करने के लिए वोट दिया गया था। आपको 200 स्मार्ट शहर बनाने के लिए वोट दिया गया था। आपने वो भी नहीं किया। आपने कुछ नहीं किया, इसलिए आप यहां-वहां की बातें करते हैं। पित्रोदा ने यह बात बीजेपी के इस सवाल के जवाब में कही थी कि 1984 में सिख विरोधी दंगों के दौरान निर्देश प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यालय से आए थे।
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पित्रोदा ने मांगी थी माफी
लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान की गई टिप्पणियों ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन टिप्पणियों को राहुल गांधी से जोड़ दिया था। राहुल गांधी ने टिप्पणियों की निंदा की और कहा कि पित्रोदा को माफी मांगनी चाहिए। बाद में पित्रोदा ने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी थी।
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पुलवामा हमले पर ‘हर समय होता रहता है’
फरवरी 2019 में, पित्रोदा ने पुलवामा हमलों के बाद भारतीय वायु सेना द्वारा बालाकोट हवाई हमलों की सत्यता पर सवाल उठाया था। पित्रोदा ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की भी वकालत की थी और कहा था कि किसी हमले के लिए पड़ोसी देश के सभी नागरिकों को दोषी ठहराना गलत है, जिसमें कुछ लोग ही शामिल थे। पित्रोदा ने कहा था,“मैं हमलों के बारे में ज़्यादा नहीं जानता। ऐसा हमेशा होता है। मुंबई में भी हमला हुआ था। हम तब प्रतिक्रिया दे सकते थे और अपने लड़ाकू विमान भेज सकते थे, लेकिन यह सही तरीका नहीं है। पित्रोदा ने भारतीय वायुसेना के सर्जिकस स्ट्राइक का सबूत मांगते हुए कहा था, “मेरे अनुसार, आप दुनिया के साथ इस तरह से नहीं निपटते।” इस टिप्पणी पर पीएम मोदी की प्रतिक्रिया आई थी। उन्होंने कांग्रेस पर वोट बैंक की राजनीति में शामिल होने का आरोप लगाया था। पीएम ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए पूछा था, ”लेकिन क्या यह राष्ट्रीय हित से ऊपर हो सकता है?’
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‘मंदिर रोजगार नहीं पैदा करेंगे’
जून 2023 में, पित्रोदा ने फिर से विवाद खड़ा कर दिया था, जब उन्होंने कहा था कि मंदिर भारत की बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, शिक्षा और स्वास्थ्य की समस्याओं का समाधान नहीं करेंगे।पित्रोदा ने अमेरिका में एक कार्यक्रम में कहा, “कोई भी इन चीजों के बारे में बात नहीं करता है। लेकिन हर कोई राम, हनुमान और मंदिर के बारे में बात करता है। मैंने कहा है कि मंदिरों से नौकरियां पैदा नहीं होने वाली हैं।” इस मौके पर राहुल गांधी भी मौजूद थे।
कांग्रेस का किनारा
इस टिप्पणी की भाजपा ने आलोचना की थी और उसके नेताओं ने पित्रोदा और राहुल गांधी को ‘हिंदूफोबिक’ बताया था। कांग्रेस ने यह कहते हुए बयान से दूरी बना ली थी कि उनकी टिप्पणियां पार्टी के रुख को प्रतिबिंबित नहीं करतीं।
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