क्या आंदोलनकारी किसान सर्वोच्च आदेश पर करेंगे अमल?

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक सड़कों पर आवाजाही में बाधा नहीं डालना चाहिए।

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सर्वोच्च न्यायालय ने किसान आंदोलन को लेकर तीखी टिप्पणी की है। न्यायालय ने कहा है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक सड़कों पर आवाजाही में बाधा नहीं डालना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि सड़कों पर यातायात का मुक्त प्रवाह होना चाहिए।

बता दें कि आंदोलन के प्रारंभिक दिनों में नोएडा की सड़कें किसान आंदोलन की वजह से बाधित रही थीं, जिसे लेकर एक महिला ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। महिला ने अपनी याचिका में नोएडा और दिल्ली के बीच बिना किसी बाधा के आवाजही सुनिश्चित करने के लिए सड़कों को खाली करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की थी।

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दिल्ली से सटी सीमाओं पर प्रदर्शन
केद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 26 नवंबर से कुछ किसान संगठन दिल्ली से सटी सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस वजह से राज्यों से सटी सीमाओं की सड़कें बंद हैं। दिल्ली गाजियाबाद की ओर जानेवाली सड़कों को फिलहाल खोला गया है, लेकिन बाकी सड़कों पर अभी भी यातायात बाधित है।

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केंद्र सरकार से कई दौर की हो चुकी है बातचीत
इस बीच किसान संगठन और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन किसान अपनी मांग को लेकर अड़े हुए हैं। वे कृषि कानूनों को किसानों के हितों के खिलाफ बताकर उन्हें रद्द करने के साथ ही एमएसपी को लेकर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।

चार महीने से ज्यादा समय से जारी है प्रदर्शन
कई बार सर्वोच्च न्यायालय की फटकार लगने के बाद भी कुछ किसान संगठन सड़कों पर आंदोलन कर दिल्ली से सटे राज्यों के लोगों की चार महीने से ज्यादा समय से परेशानी बढ़ा रहे हैं।

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