जिस टीआरपी को लेकर टीवी चैनलों में महाभारत छि़ड़ी हुई है इसे समझने के लिए यही समझिये की इसमें शीर्ष पर पहुंचना या नीचे जाना भारी नफा और भयंकर नुकसान है। इसीलिए ये चैनल कांटे की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस कांटे की लड़ाई में चैनल ये भी भूल गए कि फर्जीवाड़े का अंजाम कैसी बदनामी लेकर आएगा? टीआरपी के लिए इन बेलगाम न्यूज चैनलों के फर्जीवाड़े को मुंबई पुलिस ने उजागर कर दिया। तो आइये जानते हैं टीआरपी में ऐसा क्या है? इसे जानने के लिए पहले समझते हैं टीआरपी क्या है? और कौन इसे मॉनिटर करता है?
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क्या है टीआरपी?
* गुरुवार को बार्क (BARC) यानि Broadcast Audience Research Council टीवी दर्शकों के आंकड़े जारी करता है
* इसे आम भाषा में टीआरपी कहते हैं यानी टेलीविजन रेटिंग पॉइंट
* इसकी गणना के लिए बार्क कुछ घरों में मीटर लगाता है
* यह मीटर लोगों द्वारा देखे जा रहे चैनलों की रीडिंग को स्टोर करता है
* इसमें हर उम्र के हिसाब से चैनलों पर कितने लोग आए और कितनी देर चैनल देखा ये भी शामिल
टीआरपी में टॉप के फायदे?
* इस रेटिंग की सहायता विज्ञापनदाता कंपनियां/ एजेंसियां लेती हैं
* इससे जानकारी मिलती है कि किस कार्यक्रम या टाइम बैंड में दर्शक ज्यादा होते हैं
* जिसकी टीआरपी रेटिंग सबसे आगे है उसे अधिक विज्ञापन मिलेगा
* ज्यादा विज्ञापन यानी ज्यादा पैसा
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टीआरपी गणना कौन करता है?
* वर्तमान में बार्क (BARC) यानि Broadcast Audience Research Council ये करता है
* 2008 में ट्राई द्वारा टेलीविजन ऑडियंस मेजरमेन्ट की सिफारिश की गई थी
* इसका उद्देश्य था विज्ञापनदाताओं को धन का पूरा मिले लाभ
* 2008 में टैम मीडिया रीसर्च (टैम) और ऑडियंस मेजरमेन्ट एंड एनालिटिक्स लिमिटेड (एएमएपी) टीआरपी देते थे
* इसके बाद ट्राई ने सूचना प्रसारण मंत्रालय से इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों के नेतृत्व में स्व-नियमन के लिए ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रीसर्च काउंसिल (बार्क) की सिफारिश की
* जुलाई 2010 में बार्क अस्तित्व में आया
* जनवरी 2014 में सरकार ने टेलिविजन रेटिंग एजेंसी के लिए दिशा निर्देश जारी किये
* जुलाई 2015 में बार्क को भारत में टेलीविजन रेटिंग देने की मान्यता मिली
* बार्क में इंडस्ट्री के प्रतिनिधि के तौर पर इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन, इंडियन सोसायटी ऑफ एडवर्टाइजर्स और एडवर्टाइजिंग एजेंसी एसोसिएशन ऑफ इंडिया शामिल है