Swatantrya Veer Savarkar Award: सैन्य क्षमता खो देने के कारण हम 1200 वर्षों तक परतंत्रता की असह्य पीड़ा झेलते रहेः रणजीत सावरकर

वीर सावरकर की जयंती के अवसर पर हर वर्ष वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की ओर से पुरस्कार दिये जाते हैं। इस वर्ष का पुरस्कार समारोह रविवार, 26 मई को उत्साहपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ।

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Swatantrya Veer Savarkar Award: शक्ति खोने के कारण 2300 वर्ष पहले यूनानियों ने सबसे पहले हम पर आक्रमण किया था। इसके बाद हमले जारी रहे। स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक (Swatantryaveer Savarkar Rashtriya Smarak) के कार्याध्यक्ष और वीर सावरकर के पोते रणजीत सावरकर (Ranjit Savarkar) ने कहा, हममें से कुछ लोगों ने इसका मुकाबला भी किया, लेकिन धीरे-धीरे हमारी सैन्य क्षमता कम होती गई और हम लगभग 1200 वर्षों तक गुलामी की असह्य पीड़ा सहते रहे। वह ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर पुरस्कार-2024’ (Swatantrya Veer Savarkar Award- 2024) समारोह में बोल रहे थे।

वीर सावरकर की जयंती के अवसर पर हर वर्ष वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की ओर से पुरस्कार दिये जाते हैं। इस वर्ष का पुरस्कार समारोह रविवार, 26 मई को उत्साहपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। पुरस्कार वितरण समारोह स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक सभागृह में आयोजित किया गया। इस अवसर पर रणजीत सावरकर बोल रहे थे।

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इस मौके पर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर (Rajendra Arlekar) मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। स्मारक के अध्यक्ष प्रवीण दीक्षित, सावरकर स्ट्रैटजिक सेंटर के प्रमुख ब्रिगेडियर हेमंत महाजन और आईआईटी इंदौर के डॉ. सुहास जोशी, सावरकर विक्खा प्रसारक संस्था के विद्याधर नार्गोलकर और फिल्म ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर’ के निर्माता, लेखक, अभिनेता रणदीप हुड्डा मौजूद रहे।

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रणजीत सावरकर ने कहा कि सैकड़ों, हजारों वर्ष पहले हमारा देश स्वर्णभूमि था। हम विश्व के सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ रहे थे। जब जर्मनी में लोग पढ़-लिख नहीं सकते थे, तब हमारे पास संस्कृत महाकाव्य थे। हम धन, बल, सत्ता के आधार पर आगे बढ़ रहे थे। लेकिन समृद्ध-संपन्न बनने के बाद अगली पीढ़ी में कुछ बुराइयां आ गईं। हमने संपन्नता के कारण अपनी शक्ति खो दी। शक्ति की हानि के कारण 2300 वर्ष पहले यूनानियों ने सबसे पहले हम पर आक्रमण किया। उसके बाद हमले जारी रहे। हममें से कुछ लोगों ने इसका प्रतिकार भी किया, लेकिन धीरे-धीरे हमारी सैन्य क्षमता क्षीण होती गई और स्वतंत्रता के लिए लगभग 1200 वर्ष हमें संघर्ष करना पड़ा।

“हम वही गलतियां दोहरा रहे हैं”
रणजीत सावरकर ने देशवासियों को चेतावनी देते हुए कहा,”हमें आजादी मिले अभी 77 साल ही हुए हैं और हम भूलते जा रहे हैं कि हम कभी गुलाम थे। हमें ऐसा लगने लगा है कि जैसे हम कभी गुलाम थे ही नहीं। हम वही गलतियां दोहरा रहे हैं, जो हमने पहले की थीं।”

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स्वातंत्र्यवीर सावरकर पुरस्कार की विशेषताएं
रणजीत सावरकर ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की ओर से दिए जाने वाले पुरस्कार की विशेषताएं बताते हुए कहा, ”वीर सावरकर बहुत उपयोगितावादी व्यक्ति थे। उनके विचार थे कि हर चीज देश के लिए उपयोगी होनी चाहिए, इसीलिए हम उनकी याद में यह पुरस्कार देते हैं। सैन्य क्षमता खो देने के कारण हमारा देश गुलाम हो गया था, इसलिए हम शौर्य पुरस्कार देते हैं, ताकि हमारी शौर्य क्षक्ति बनी रहे। हमारी वैज्ञानिक प्रगति अवरुद्ध हो गई है। पाणिनि के बाद 1500 वर्षों में हमारे पास कोई वैज्ञानिक शोध नहीं है। जब कोई वैज्ञानिक अनुसंधान नहीं होता है, तो राष्ट्र की ताकत कमजोर होने लगती है। जब मुगलों ने आक्रमण किया तो वे अपने पास मौजूद धनुष-बाणों के कारण ही विजयी हुए। हम शस्त्र के बारे में अधिक शोध किए बिना धनुर्धर के रूप में राम, कृष्ण का नाम लेते हैं। लेकिन मुगलों से हम हार गये। तो हमारा दूसरा पुरस्कार विज्ञान पुरस्कार है। आपके पास हथियार है, विज्ञान है, लेकिन अगर आपके पास विचार नहीं हैं तो वे व्यर्थ हैं। इसलिए, हम वीर सावरकर के विचारों पर अमल करने और प्रचार करने वाले गणमान्य व्यक्तियों को स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करते हैं।

रणजीत सावरकर ने कहा,आज हम रणदीप हुड्डा को विशेष पुरस्कार दे रहे हैं। उन्होंने फिल्म ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर’ का निर्माण किया। आज युद्ध का जो नया रूप सामने आया है, वह है सूचना युद्ध। राष्ट्रवादी विचारधारा पर बार-बार हमले हो रहे हैं। वीर सावरकर हमारे नायक हैं, तो आइए जिन लोगों ने वीर सावरकर के विचारों को दबाकर रखने का काम किया, उन्हें हम करारा जवाब दें। हुड्डा ने यह फिल्म बनाकर उनको अच्छा जवाब दिया है। इसीलिए हम उन्हें यह विशेष पुरस्कार दे रहे हैं।

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