रेमडेसवीर इंजेक्शन को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। जिसमें इसके निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस प्रतिबंध में रेमडेसवीर इंजेक्शन के अलावा रेमडेसवीर निर्माण के लिए आवश्यक एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडियन्ट (एपीआई) भी सम्मलित है।
यह निर्णय सरकार ने देश में रेमडेसवीर की भयंकर कमी को लेकर किया है। आरोप है कि इंजेक्शन की कमरता के कारण इसकी कालाबाजारी भी हो रही है। इन समस्याओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। सरकार की ओर से अन्न व नागरी आपूर्ति मंत्री राजेंद्र शिंगणे ने बताया कि 15 अप्रैल तक रेमडेसवीर की समस्या बड़े स्तर तक तक हल हो जाएगी।
ये भी पढ़ें – मुंबई पुलिस का ‘काजी’ भी गया अंदर! ये है मामला
महाराष्ट्र ने उठाया ये कदम
राज्य में रेमडेसवीर इंजेक्शन की कमी और परिजनों की भागमभाग को देखते हुए प्रशासन ने अब खास निर्णय किये हैं। जिसमें परिजनों को अब यहां से वहां दौड़ना नहीं पडेगा।
- रेमडेसवीर इंजेक्शन अब सीधे अस्पतालों को दी जाएगी
- निजी अस्पताल इस इंजेक्शन को सीधे सरकारी आपूर्तिकर्ता से प्राप्त करें
- प्रधान स्वास्थ्य सचिव प्रदीप व्यास ने जारी किये निर्देश
ये कंपनियां करती हैं निर्माण
देश में प्रति माह 38.80 लाख यूनिट रेमडेसवीर इंजेक्शन का निर्माण होता है। भारतीय कंपनियां इस इंजेक्शन का निर्माण अमेरिकन फार्मास्युटिकल कंपनी गिलियाड साइन्सेज के साथ वॉलंटरी लाइसेंसिंग एग्रीमेंट के अंतर्गत करती हैं। इस दवाई का उपयोग इबोला के संक्रमण से पीड़ित को बचाने के लिया जाता है।