Delhi Water Crisis: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना (VK Saxena) ने 31 मई (शुक्रवार) को शहर में चल रहे जल संकट (Water Crisis) को लेकर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) (आप) के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की और कहा कि पिछले 10 वर्षों के दौरान अपनी अक्षमता को छिपाना और अपनी हर विफलता के लिए दूसरों को दोष देना दिल्ली सरकार (Delhi Government) की आदत बन गई है।
वीके सक्सेना ने एक बयान में कहा, “पिछले 10 सालों में अपनी अक्षमता को छुपाना दिल्ली सरकार की आदत बन गई है। वे अपनी हर विफलता के लिए दूसरों को दोषी ठहराते हैं और सिर्फ सोशल मीडिया प्रेस, कॉन्फ्रेंस और कोर्ट केस करके और जनता को गुमराह करके अपनी जिम्मेदारियों से बचते हैं। मेरा मानना है कि दिल्ली में पानी की यह कमी सिर्फ सरकार के प्रबंधन की वजह से है…”
#WATCH | On water and electricity shortage in Punjab, Delhi LG, VK Saxena says, “I don’t have any idea about Punjab, but if there is a shortage of electricity and water in Punjab, people are worried, then there also the Delhi model is being implemented.” pic.twitter.com/3tOZ72zU1m
— ANI (@ANI) May 31, 2024
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दिल्ली सरकार का गैरजिम्मेदाराना रवैया
उपराज्यपाल ने कहा, “पिछले कुछ दिनों से हम दिल्ली में जल संकट के प्रति दिल्ली सरकार का गैरजिम्मेदाराना रवैया देख सकते हैं। आज दिल्ली में लोग पानी के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर टैंकरों के पीछे भागते नजर आ रहे हैं। लेकिन सरकार अपनी नाकामियों का ठीकरा दूसरे राज्यों पर फोड़ रही है। दिल्ली में 24 घंटे पानी की आपूर्ति का मुख्यमंत्री का वादा अब तक छलावा साबित हुआ है।”
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40 फीसदी पानी बर्बाद
उपराज्यपाल ने आगे कहा “हरियाणा और उत्तर प्रदेश लगातार दिल्ली को अपने तय कोटे का पानी दे रहे हैं। इसके बावजूद आज दिल्ली में पानी की भारी किल्लत का सबसे बड़ा कारण यह है कि उत्पादित पानी का 54 फीसदी हिस्सा इस्तेमाल नहीं हो पाता। पुरानी और जर्जर पाइपलाइनों के कारण आपूर्ति के दौरान 40 फीसदी पानी बर्बाद हो जाता है। पिछले 10 सालों में दिल्ली सरकार द्वारा हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन पुरानी पाइपलाइनों की मरम्मत या उन्हें बदला नहीं जा सका और न ही पर्याप्त पाइप बिछाए गए।”
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प्रतिदिन औसतन 550 लीटर पानी की आपूर्ति
उन्होंने कहा, “यह पानी चोरी करके टैंकर माफिया द्वारा गरीबों को बेचा जाता है। यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक ओर जहां दिल्ली के समृद्ध क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसतन 550 लीटर पानी की आपूर्ति की जा रही है, वहीं दूसरी ओर गांवों और झुग्गी-झोपड़ियों में प्रति व्यक्ति औसतन केवल पंद्रह लीटर पानी की आपूर्ति की जा रही है…”
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