Chikankari Kurti: जानें चिकनकारी कुर्ती का इतिहास, कब और कहां किसने पहली बार पहनी।

चिकन कारी कुर्ती का इतिहास उसकी रूढ़िवादिता(Stereotypes) में छिपा हुआ है, जिसमें इसे मुगल और अवधी संस्कृतियों के साथ जोड़ा जाता है।

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Chikankari Kurti: जानें चिकनकारी कुर्ती का इतिहास, कब और कहां किसने पहली बार पहनी।
Chikankari Kurti: जानें चिकनकारी कुर्ती का इतिहास, कब और कहां किसने पहली बार पहनी।

चिकन कारी कुर्ती(chikankari kurti) एक प्रमुख फैशन आइटम है जो मुख्य रूप से भारतीय महिलाओं(indian women) के बीच प्रचलित है। इसका इतिहास काफी प्राचीन है और इसे कई सालों से भारतीय संस्कृति में शामिल किया जाता आया है। इसे बाजारों में व्यापक रूप से पाया जाता है और यह विभिन्न रंगों, डिज़ाइन और पैटर्न में उपलब्ध है।

चिकन कारी कुर्ती का इतिहास उसकी रूढ़िवादिता(Stereotypes) में छिपा हुआ है, जिसमें इसे मुगल और अवधी संस्कृतियों के साथ जोड़ा जाता है। मुगल काल में, चिकन कारी को अपनाने का एक व्यापक प्रचलन(Widespread circulation) था, जो मुगल शासकों के दौर में मुगल दरबार के महिलाओं द्वारा पसंद किया जाता था। इसे अधिक आदर्श(Ideal) माना जाता था क्योंकि यह ठंड में भी आरामदायक(Comfortable) होता था।

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कारी एक प्रकार की एम्ब्रॉयडरी होती है जो खुले नक्शे(Open maps) पर की जाती है। इसकी श्रेणी में, जाली या छेदकर(piercing) कारी, जिसे ‘चिकन कारी’ के रूप में भी जाना जाता है, सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इसमें चमकदार धागों(shiny threads) का इस्तेमाल किया जाता है जो एक विशेष प्रकार के कारी बनाने के लिए काम आते हैं।

चिकन कारी कुर्तियों का पहला उल्लेख और प्रचलन भारत के उत्तरी भागों, खासकर अवध और लखनऊ के इलाके में पाया जाता है, जहां इसे बड़े प्रेम से पहना जाता है। इसके बाद, चिकन कारी कुर्तीयाँ भारत भर में लोकप्रिय(popular) हो गईं हैं और आजकल वे भारतीय महिलाओं के पसंदीदा परिधान में से एक हैं।Chikankari Kurti

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