Lok Sabha Election Results: लोकसभा चुनाव की लड़ाई अब खत्म हो चुकी है। इस चुनाव के नतीजे में बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ। पार्टी ने 400 पार की घोषणा की थी, लेकिन हकीकत में एनडीए देश में 293 सीटों पर सिमट गई, जबकि महाराष्ट्र में वह सिर्फ 16 सीटें ही जीत पाईं। अब जबकि इस बात का विश्लेषण शुरू हो गया है कि कहां-कहां एकमुश्त वोट पड़े और कहां-कहां वोटों का बंटवारा हुआ। वहीं इस बार के चुनाव में कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां नोटा का असर देखा गया।
75 हजार मुंबईकरों ने दबाया नोटा का बटन
शिवसेना और कांग्रेस के विभाजन के बाद यह पहला चुनाव था। इस चुनाव के नतीजे पर देश- प्रदेश की निगाहें टिकी रहीं। लोकसभा चुनाव नतीजों में मुंबई महायुति के दो और महाविकास अघाड़ी के कुल 4 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है, लेकिन इस साल राज्य में सत्ता संघर्ष से तंग आ चुके 75 हजार से ज्यादा मुंबईकरों ने ‘नोटा’ विकल्प को स्वीकार करना पसंद किया है।
नोटा को प्राथमिकता देने के पीछे कारण
पिछले 5 सालों के सत्ता संघर्ष पर नजर डालें तो तस्वीर यही दिखती है कि जनता सत्ताधारी दल के कामकाज से नाखुश है। इसमें महाराष्ट्र की जनता को सत्ता संघर्ष के कई मुद्दे दिखे। राजनीतिक दलों के बीच विभाजन, दिग्गज नेताओं के विद्रोह, अप्रत्याशित सत्ता संघर्ष और अभूतपूर्व सत्ता हस्तांतरण के कारण महाराष्ट्र की सभ्य राजनीति छिन्न-भिन्न हो गई। लोगों के मन में ऐसी भावना पैदा हुई। इस बीच मुंबई लोकसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी के उम्मीदवारों ने 6 में से 4 सीटों पर जीत हासिल कर महागठबंधन को करारा झटका दिया है। इस बीच, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उत्तरी मुंबई लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल की और मुंबई में बीजेपी की ओर से महागठबंधन का खाता खोला। मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना के उम्मीदवार रवींद्र वायकर ने शिवसेना से खाता खोला। हालांकि, इस साल के लोकसभा चुनाव के नतीजों से पता चलता है कि मुंबईकरों ने अन्य पांच लोकसभा क्षेत्रों में महायुति के उम्मीदवारों को खारिज कर दिया। साथ ही ‘नोटा’ के विकल्प को मिले वोटों ने भी सबका ध्यान खींचा।
सबसे ज्यादा 15 हजार नोटा मुंबई नॉर्थ वेस्ट में
दक्षिण मुंबई लोकसभा क्षेत्र में 13 हजार 411, दक्षिण मध्य मुंबई लोकसभा क्षेत्र में 13 हजार 423, उत्तर मध्य मुंबई लोकसभा क्षेत्र में 9 हजार 749, उत्तर पश्चिम मुंबई लोकसभा क्षेत्र में 15 हजार 161, 13 हजार 346 उत्तर मुंबई लोकसभा क्षेत्र में 10 हजार और उत्तर पूर्व मुंबई लोकसभा क्षेत्र में 10 हजार मतदाताओं ने अपनी असहमति जताते हुए ‘नोटा’ के विकल्प को स्वीकार किया। इस साल के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रचार सभा में कहा था कि जब बीजेपी सत्ता में आएगी तो वह भारत के संविधान को बदल देगी, महंगाई और बढ़ाएगी, बीजेपी लोकतंत्र पर तानाशाही को तरजीह देगी। इस प्रकार का प्रचार-प्रसार कर उन्होंने नागरिकों का मन बदल दिया। परिणामस्वरूप, बड़े पैमाने पर मतदाताओं ने ‘नोटा’ विकल्प चुना।
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इंदौर संसदीय क्षेत्र में दूसरा रिकॉर्ड नोटा
मध्य प्रदेश का इंदौर एक ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है, जहां भाजपा के विजयी उम्मीदवार शंकर लालवानी को छोड़कर सभी 13 उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले। इस सीट पर जीतने वाले बीजेपी उम्मीदवार को 12 लाख 26 हजार से ज्यादा वोट मिले थे, जबकि नोटा 2 लाख 18 हजार से ज्यादा वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहा था। शंकर लालवानी के अलावा बाकी सभी उम्मीदवारों को करीब 1 लाख 16 हजार वोट मिले, जो नोटा से भी कम थे।
‘इन’ 10 राज्यों में NOTA को खास तरजीह!
बिहार, दादरा और नगर हवेली, गुजरात, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, ओडिशा, असम, गोवा, आंध्र प्रदेश और झारखंड सबसे अधिक नोटा देने वाले शीर्ष 10 राज्य हैं, जहां लोगों ने किसी भी राजनीतिक दल या स्वतंत्र उम्मीदवार को वोट नहीं दिया। नोटा पर सबसे कम मतदान वाले शीर्ष 10 राज्यों में नागालैंड, लक्षद्वीप, हरियाणा, तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। हालांकि दिल्ली में मतदान कम रहा, लेकिन यहां लोगों ने नोटा वोट करने में ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया।