हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने कहा है कि दिल्ली (Delhi) के लिए हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) ने अभी तक 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी (Cusecs of Excess Water) नहीं छोड़ा है। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने तीन दिन पहले हिमाचल प्रदेश को पूर्व में छोड़े जा रहे पानी से अतिरिक्त 137 क्यूसेक पानी हरियाणा के रास्ते दिल्ली भेजने का निर्देश दिया था। लेकिन दिल्ली का जल संकट (Water Crisis) लगातार बढ़ रहा है। जबकि हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में आरोप प्रत्यारोप हो रहे हैं।
दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में जल समझौता?
दरअसल हरियाणा और पंजाब में सतलुज के पानी को लेकर विवाद लगातार बना हुआ है। हरियाणा का दावा है कि अगर पंजाब सतलुज से पानी छोड़ दे तो दिल्ली में पानी का संकट हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।
हरियाणा सरकार का कहना है कि जल समझौते में 750 क्यूसेक पानी हरियाणा को दिल्ली के लिए देना है। हरियाणा सरकार का कहना है कि वह पहले ही 1050 क्यूसेक पानी दिल्ली को दे रहा है। दिल्ली और पंजाब दोनों जगह आम आदमी पार्टी की सरकारें है। पंजाब एसवाईएल का पानी दे तो उसे न केवल हरियाणा की प्यास बुझेगी बल्कि दिल्ली को भी अतिरिक्त पानी दे सकेंगे।
हथिनी कुंड बैराज पर बहाव की स्थिति
हरियाणा के यमुनानगर जिले में हथिनी कुंड बैराज है। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों से पानी हथिनीकुंड बैराज से होकर यमुना नदी से दिल्ली आता है। हथिनी कुंड बैराज से यमुना नदी, पश्चिम यमुना नहर, पूर्वी नहर में पानी का डायवर्सन होता है। बैराज पर जल बहाव 17 हजार क्यूसेक ज्यादा होने पर सभी गेट खोल दिए जाते हैं। पश्चिमी यमुना नहर के माध्यम से करनाल के मुनक, पानीपत और सोनीपत से होते हुए दिल्ली जाता है। पानी की उपलब्धता के आधार पर नहर में पानी का बहाव घटता- बढ़ता रहता है। सुबह पानी का बहाव कम होता है। क्योंकि हिमाचल में पन बिजली इकाइयां चलाने के लिए पानी रोक लिया जाता है पश्चिमी यमुना नहर की क्षमता 17 हजार क्यूसेक है। (Delhi Water Crisis)
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