Ranjit Savarkar: अगर भगवान को चढ़ाया गया प्रसाद अशुद्ध हो तो उसका फल विपरीत होता है। इसलिए भगवान को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद हमेशा शुभ फल के लिए शुद्ध होना चाहिए, यह विचार स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष और ओम प्रतिष्ठान प्रतिष्ठान के अध्यक्ष रणजीत सावरकर ने प्रेस से बात करते हुए व्यक्त किए।
हिंदू संगठन एकजुट
वर्तमान समय में हिंदू मंदिरों के बाहर बड़ी संख्या में प्रसाद विक्रेताओं की दुकानें हैं। उनमें से कई अन्य धर्मों के हैं। इनके द्वारा प्रसाद बनाने में मिलावट की जाती है। अक्सर गाय की चर्बी से बने मिलावटी घी के मामले सामने आते रहे हैं। इसलिए अब सभी हिंदूवादी संगठन ‘ओम प्रतिष्ठान’ की छत्रछाया में एकजुट हो गए हैं। इस मिलावट को रोकने और हिंदू मंदिरों में प्रसाद की पवित्रता और अखंडता को बनाए रखने के लिए ‘ओम प्रमाणपत्र’ की अवधारणा शुरू की गई है। इसके लिए नासिक में हिंदूवादी संगठनों को संगठित किया गया है। आज, शुक्रवार, 14 जून को नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर क्षेत्र में कुछ मिठाई विक्रेताओं को ओम प्रमाण पत्र वितरित करने के साथ इस आंदोलन की शुरुआत हुई।
इस अवसर पर रणजीत सावरकर के साथ महंत आचार्य पीठाधीश्वर डाॅ. अनिकेत शास्त्री महाराज, दिग्गज अभिनेता शरद पोंक्षे, स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे और हिंदू जनजागृति संगठन के पदाधिकारी उपस्थित थे।
प्रसाद में गाय की चर्बी का उपयोग
सर्टिफिकेट बांटे जाने के बाद रणजीत सावरकर ने मीडिया से बात करते हुए इस पर अपनी भूमिका स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि खबर प्रकाशित हुई थी कि त्र्यंबकेश्वर में मिलावटी घी से बने पेड़े बरामद किए गए। अमरावती में पेड़ा बनाने के लिए गाय की चर्बी मिले घी का इस्तेमाल किया जाता था और इसका 100 ग्राम के पैकेट बनाकर मंदिर में भेजे जाते थे। इस तरह की चीजों को रोकने के लिए, हमने महंत अनिकेत शास्त्री के साथ चर्चा कर कुछ उपाय करने का निर्णय लिया। इस ‘ओम प्रमाणपत्र’ की अवधारणा को नासिक क्षेत्र के 13 प्रमुख हिंदू धार्मिक संगठनों ने समर्थन और आशीर्वाद दिया है।
पूरे देश में चलाया जाएगा यह अभियान
‘ओम सर्टिफिकेट’ प्रसाद की शुद्धता की गारंटी होगी। यह प्रमाणपत्र किसी भी विक्रेता पर थोपा नहीं जाएगा और स्वैच्छिक होगा। इस ‘ओम सर्टिफिकेट’ अभियान की शुरुआत त्र्यंबकेश्वर से हुई। कहा गया कि यह अभियान पहले प्रदेश और बाद में देशभर के सभी मंदिरों में चलाया जायेगा।