Prerna Sthal: संसद भवन में ‘प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन, उपराष्ट्रपति बोले- आज का दिन ऐतिहासिक

उपराष्ट्रपति ने संसद भवन परिसर में प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया। प्रेरणा स्थल का निर्माण आगंतुकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए किया गया है, जिससे वे संसद भवन के अंदर एक ही स्थान पर महान नेताओं की प्रतिमाओं को देख सकेंगे और उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे।

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उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने रविवार (16 जून) को संसद भवन परिसर (Parliament House Complex) में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla), राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश एवं संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजु की उपस्थिति में बीजी– 7, संविधान सदन (Constitution House) के सामने नवनिर्मित प्रेरणा स्थल (Newly Constructed Prerna Sthal) का लोकार्पण (Inauguration) किया। कार्यक्रम में राज्यसभा एवं लोकसभा के सदस्य भी उपस्थित रहे।

लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान शिलापट्ट के अनावरण के पश्चात गणमान्यजनों ने प्रेरणा स्थल में स्थापित प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित की। इससे पहले, मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बिरला ने कहा कि संसद भवन परिसर के अंदर 15 महापुरुषों एवं महान स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं स्थापित हैं और उनका देश के इतिहास, संस्कृति एवं स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह उल्लेख करते हुए कि ये प्रतिमाएं संसद भवन परिसर में अलग अलग स्थानों पर स्थित थीं जिससे आगंतुकों को इनके दर्शन करने में कठिनाई होती थी।

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बिरला ने कहा कि सामान्य रूप से आगंतुकों को पता भी नहीं होता था कि संसद भवन परिसर में किन महापुरुषों की प्रतिमाएँ कहाँ स्थापित हैं। उन्होंने कहा कि प्रेरणा स्थल के निर्माण का मुख्य उद्देश्य यह है कि संसद परिसर में स्थापित इन प्रतिमाओं को एक स्थान पर एक सुंदर और मनोरम वाटिका में स्थापित किया जाए। इसीलिए यह निर्माण किया गया कि संसद परिसर में आगंतुकों के लिए निर्दिष्ट भ्रमण स्थल का निर्माण हो, यहाँ आने वाले आगंतुक आयें और एक ही स्थान पर हमारे महापुरुषों का दर्शन करें और उन्हें श्रद्धांजलि दें।

उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष संसद के नए भवन के लोकार्पण के उपरांत संसद परिसर के सौंदर्यीकरण का कार्य निरंतर चल रहा है। यह उल्लेख करते हुए कि संसद भवन परिसर लोक सभा अध्यक्ष के क्षेत्राधिकार में आता है, उन्होंने कहा कि परिसर जो भी कार्य किए जाते हैं, उसके लिए लोक सभा अध्यक्ष की स्वीकृति आवश्यक होती है। इसी व्यवस्था के तहत प्रतिमाओं को प्रेरणा स्थल पर स्थानांतरित किया गया।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि संसद भवन परिसर के कायाकल्प की व्यापक योजना में उद्यानों और जल निकायों के साथ एक हरित पट्टी में बदलना, भारत की वनस्पतियों की समृद्ध विविधता और स्वदेशी और मौसमी पौधों को लगाना शामिल है। इसके अतिरिक्त, पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए, सांसदों को गेट से संसद भवन तक ले जाने के लिए बैटरी चालित वाहनों की शुरुआत की जा रही है।

बिरला ने बताया कि यह भी कार्य योजना है कि उन प्रतिमाओं के समीप नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से उन महापुरुषों की जीवनगाथा, उनके सन्देश भी आगंतुकों के लिए उपलब्ध हों ताकि सभी को उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा मिले, और इसीलिये इस स्थल का नाम प्रेरणा स्थल दिया गया है। उन्होंने कहा कि संसद भवन में बड़ी संख्या में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी भ्रमण के लिए आते हैं। युवा एवं छात्र इन महापुरुषों के जीवन दर्शन से प्रेरणा लें, यही प्रेरणा स्थल बनाने के पीछे उद्देश्य है। श्री बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि उनके लिए यह स्थल एक प्रेरक स्थान साबित होगा। उन्होंने आगे कहा कि ‘प्रेरणा स्थल’ पर प्रतिमाओं के आसपास ‘लॉन’ एवं पुष्प वाटिकाओं का निर्माण किया गया है जहां आगंतुक सभी महापुरुषों को सुगमतापूर्वक अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे और क्यूआर कोड के माध्यम से उपलब्ध उनकी जीवनगाथा से प्रेरणा भी ले सकेंगे।

बिरला ने यह भी बताया कि संसद परिसर में मूर्तियों का स्थानांतरण पहली बार नहीं हुआ है। इसके पहले भी संसद के नए भवन के निर्माण कार्य के दौरान महात्मा गाँधी, मोतीलाल नेहरू एवं चौधरी देवी लाल जी की प्रतिमाओं को परिसर में ही अन्य स्थान पर सम्मानपूर्वक स्थानांतरित किए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पिछली शताब्दी में, संसद भवन परिसर में कई बदलाव हुए हैं। 1920 के दशक में अपनी मूल संरचना से, अब इस परिसर में पाँच इमारतें शामिल हैं: भारत का संसद भवन, संविधान सदन, संसद पुस्तकालय भवन, संसदीय सौध, और संसदीय सौध विस्तार। इन परिवर्तनों के दौरान, प्रतिमाओं और उद्यानों को सम्मानपूर्वक स्थानांतरित किया गया है, जिससे प्रतिमाओं की प्रमुखता सुनिश्चित की गई है।

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