पिछले एक साल से दुनिया भर में कोरोना संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। इससे विश्व के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। ऐसे समय में ईसाई मिशनरियों ने भारत के ग्रामीण, दूरदराज और आदिवासी क्षेत्रों में सक्रियता और तेज कर दी। उन्होंने वहां के लोगों को भोजन, कपड़ा और पैसे दिए, लेकिन बदले में उनका धर्मांतरण भी करा दिया तथा उन्हें ईसाई बना दिया।
ऐसे हुआ खुलासा
यह खुलासा अनफोल्डवर्ल्ड संस्था के विशेष कार्यकारी अधिकारी डेविड रीव्स ने किया। यह संस्था दुनिया भर के देशों में चर्च की स्थापना करती है और बाइबिल का विश्वव्यापी भाषाओं में अनुवाद कराती है। डेविड ने मिशनरी नेटवर्क न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में चौंकाने वाला खुलासे किए हैं।
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डेविड रीव्स ने कही ये बात
लॉकडाउन के कारण हम खुद लोगों तक नहीं पहुंच सके। लेकिन हम मोबाइल, वाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से भारत के सुदूर क्षेत्रों के जरूरतमंदों के संपर्क में थे। इसके माध्यम से समय-समय पर प्रार्थनाओं का आयोजन भी किया जाता था। इस तरह, हम पिछले एक साल में 1 लाख से अधिक भारतीयों को ईसाई बनाने में सफल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि एक ही समय में हमने 50,000 गांवों में अपनी पैठ बना ली और 10 गांव पर 1 चर्च का निर्माण किया। क्षेत्र के लोग अब प्रार्थना के लिए नियमित रूप से उस चर्च में इकट्ठा होते हैं।
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अनफोल्डवर्ल्ड के लिए बड़ा मौका
ऐसे समय में जब दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर रही थी, यह संस्था इसे भारत में एक अवसर के रूप में देख रही थी। इसलिए 2020 के कोरोना काल में स्थापित चर्चों की संख्या पिछले 25 वर्षों में स्थापित चर्चों की अपेक्षा काफी अधिक है। संस्था कोरोना महामारी को धर्मांतरण के कार्य के लिए यीशु का आशीर्वाद मानती है।
कौन हैं डेविड रीव्स?
- डेविड रीव्स जंगल एविएशन एंड रेडियो सर्विस संस्था के अध्यक्ष हैं।
- वे अनफोल्डवर्ल्ड के विशेष कार्यकारी अधिकारी हैं।
- वे दुनिया भर की कई भाषाओं में बाइबल का अनुवाद कराते हैं।
- डेविड का मानना है कि बाइबल का अधिक से अधिक भाषाओं में अनुवाद करने के कारण ईसाई धर्म का तेजी से प्रचार-प्रसार हो रहा है।
ऐसे बनाए जाते हैं चर्च
- दुनिया भर के बड़े-छोटे मिशनरीज अमीर देशों के तत्वावधान में काम कर रहे हैं।
- इस संस्था के माध्यम से, ईसाई धर्म का प्रसार करने तथा लोगों को धर्मांतरण कराने के लिए प्रेरित करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।
- प्रशिक्षित स्वयंसेवक अपने गांव जाते हैं और एक चर्च स्थापित करने की कोशिश करते हैं।
- इसके लिए, मिशनरी की ओर से उन्हें तब तक मासिक वेतन दिया जाता है, जब तक कि वे आत्मनिर्भर नहीं हो जाते।
- मिशनरी उनके काम की समीक्षा करने के लिए महीने में एक बार उनसे मिलने आते हैं।
- जब तक संबंधित स्वयंसेवक अपने क्षेत्र में चर्च स्थापित नहीं करता है, तब तक वे उसके पीछे पड़े रहते हैं।
- इस प्रकार 110 मिशनरी भारत में चर्च स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं।
- प्रत्येक मिशनरी को धर्मांतरण के लिए रुपरेखा दी जाती है।
- उन्हें हर साल एक नया चर्च स्थापित करने के लिए कहा जाता है।