Vaishvik Hindu Rashtra Mahotsav: भारत विरोधी ‘इकोसिस्टम’ (Anti-India Ecosystem) की शुरुआत बहुचर्चित ‘टुकड़े टुकड़े’ आंदोलन से हुई। यह आंदोलन हिन्दुओं की प्रतिक्रिया की परीक्षा लेने के लिए किया गया था।
इस आंदोलन से यह जांचा गया कि इसका विरोध करनेवाले कितने हैं, तटस्थ कितने हैं और इसका समर्थन करनेवाले कितने हैं। ‘फिलिस्तीन’ का समर्थन करनेवाले ओवैसी जैसे अलगाववादी संसद में चुने गए हैं।
बाइबल और संविधान में श्रेष्ठ क्या है
इसलिए आगे चलकर लोकसभा में गुंडागर्दी दिखने पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए! मुसलमानों से पूछा जाए कि कुरान और संविधान में श्रेष्ठ क्या है? या ईसाइयों से पूछा जाए कि बाइबल और संविधान में श्रेष्ठ क्या है, तो उनका उत्तर क्या होगा, यह हमें पता है। जब हम ‘देश’ के रूप में सोचते हैं तो इसके लिए बनाया गया संविधान होता है; लेकिन जब हम ‘राष्ट्र’ के रूप में सोचते हैं, तो इसके लिए लिखित संविधान की आवश्यकता नहीं होती। राष्ट्र अनंत होता है। राष्ट्र की एक मुख्य विचारधारा होती है और भारत की मुख्य विचारधारा कैलाश पर्वत, समुद्र मंथन जैसी संस्कृति से जुड़ी है। इसलिए हिन्दुओं के बिना भारत राष्ट्र संभव नहीं है और भारत राष्ट्र के बिना हिन्दू सुरक्षित नहीं हैं, ऐसा प्रतिपादन रक्षा विशेषज्ञ कर्नल आर.एस.एन. सिंह ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के चौथे दिन किया। वे ‘राष्ट्र पर प्रहार और देश पर अधिकार’ विषय पर बोल रहे थे।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
इस अवसर पर ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)’ के संदर्भ में कर्नाटक स्थित ‘ऋषिहुड विद्यालय’ के प्रोफेसर के. गोपीनाथ ने कहा, ‘‘ए.आई. से जो जानकारी मिलती है, वह केवल ‘अनुमान’ होती है । पहले से जो जानकारी उपलब्ध होती है, वही जानकारी केवल एकत्र करके ‘‘ए.आई.’ में प्रसारित की जाती है । ‘ए.आई.’ में सम्मिलित की गई सामग्री अगर हिंदू विरोधी है, तो हमें हिंदू विरोधी उत्तर मिलेंगे ! इसलिए ‘ए.आई.’ जैसी तकनीक समस्या नहीं है, बल्कि इसे संचालित करनेवाले कौन हैं? और इसके लिए सामग्री उपलब्ध कराने वाले कौन हैं, यह चिंता की बात है !’’
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‘ट्रांसजेंडर’ का महिमामंडन भारत के लिए खतरनाक! – नीरज अत्री
प्राकृतिक रूप से नपुंसक होना और सर्जरी के माध्यम से लिंग परिवर्तन करना, इनमें अंतर है । सर्जरी द्वारा लिंग परिवर्तन करने के बाद भी व्यक्ति की मनोवृत्ति नहीं बदली जा सकती । इसलिए ऐसे लिंग परिवर्तन करनेवाले व्यक्तियों का जीवन आगे चलकर नरकमय हो जाता है; लेकिन प्रचार द्वारा इसे ‘आधुनिकता’ के रूप में दिखाया जा रहा है । एक बार लिंग परिवर्तन किया, तो फिर सर्जरी करके उसे वापस मूल रूप में नहीं लाया जा सकता । विदेशों में इसके कारण सैकड़ों लोगों का जीवन बर्बाद हो गया है । भारत में भी युवा पीढी को इसका शिकार बनाया जा रहा है । फिल्मों में ऐसे पात्र जानबूझकर दिखाकर उनका महिमामंडन किया जा रहा है । इसके बारे में समाज में जागरूकता लाना आवश्यक है, ऐसा हरियाणा के विवेकानंद कार्य समिति अध्यक्ष श्री. नीरज अत्रीजीने कहा !
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