देश में धर्मांतरण (Conversion) के बढ़ते मामलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सख्त टिप्पणी (Strict Comment) की है। कोर्ट ने कहा कि अगर सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन भारत (India) की बहुसंख्यक (Majority) आबादी अल्पसंख्यक (Minority) बन जाएगी। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 25 (Article 25) का हवाला देते हुए धर्मांतरण सभाओं पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया है।
संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि हमारा संविधान हमें कोई भी धर्म अपनाने और छोड़ने की आजादी देता है। लेकिन इसमें कहीं भी धर्म परिवर्तन की इजाजत नहीं दी गई है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने आरोपी कैलाश की जमानत याचिका खारिज कर दी।
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गरीब लोगों का धर्म परिवर्तन
शिकायतकर्ता ने कोर्ट में आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। जिसमें कहा गया कि उत्तर प्रदेश में कुछ धार्मिक कार्यक्रम आयोजित कर गरीब लोगों को गुमराह किया जा रहा है। उन्हें किसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गांवों से दिल्ली लाया जाता है। जिसके बाद कई लोग वापस घर नहीं जाते। जो लोग लालच के कारण नहीं मानते उन्हें डरा धमका कर ईसाई धर्म में परिवर्तित किया जा रहा है।
जानें क्या है मामला?
यह मामला तब प्रकाश में आया जब रामकली प्रजापति के मानसिक रूप से बीमार भाई को दिल्ली लाया गया। उसे भरोसा दिलाया गया कि इलाज के बाद उसे वापस घर छोड़ दिया जाएगा। लेकिन कुछ दिनों बाद जब प्रजापति का भाई कैलाश घर नहीं पहुंचा तो उसका भरोसा डगमगाने लगा। हालांकि, कुछ समय बाद उसका भाई कैलाश गांव वापस आ गया। जिसके बाद फिर से उसके भाई के साथ कुछ लोग दिल्ली में होने वाले एक कार्यक्रम में ले गए। जहां सभी का धर्म परिवर्तन कराकर ईसाई धर्म अपना लिया गया। प्रजापति के अनुसार, इसके लिए सभी को पैसे भी दिए गए।
धर्म परिवर्तन की इजाजत नहीं देता
कोर्ट ने कहा, संविधान का अनुच्छेद 25 किसी को भी स्वेच्छा से धर्म चुनने की आजादी देता है, लेकिन रिश्वत देकर धर्म परिवर्तन की इजाजत नहीं देता। अपने धर्म का प्रचार करने का मतलब दूसरे धर्म के व्यक्ति को अपने धर्म में परिवर्तित करना नहीं है।
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