Teacher appointment corruption case: आयकर विभाग ने पश्चिम बंगाल के स्कूल नौकरी घोटाले में बेनामी लेनदेन (निषेध अधिनियम) के तहत जांच शुरू करने का निर्णय लिया है। सैकड़ो करोड़ रुपये के इस भ्रष्टाचार मामले की जांच का मुख्य फोकस पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी पर है।
बेनामी लेनदेन (निषेध अधिनियम) उन वित्तीय लेनदेन को अवैध ठहराता है, जिसमें संपत्ति एक व्यक्ति को स्थानांतरित की जाती है, जबकि उसका भुगतान किसी और ने किया होता है। सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग अर्पिता मुखर्जी से पूछताछ करके इस नई जांच की दिशा शुरू करना चाहता है, जो वर्तमान में दक्षिण कोलकाता की एक जेल में बंद हैं।
विशेष अदालत में अर्जी दाखिल
सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग ने कोलकाता में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत में अर्जी दाखिल की है, जिसमें उनसे पूछताछ की अनुमति मांगी गई है। आगे की प्रगति के आधार पर, आयकर विभाग के अधिकारी पार्थ चटर्जी से पूछताछ की भी इसी तरह की अर्जी दाखिल करेंगे, जो इस मामले में पहले से ही प्रेसीडेंसी जेल में हैं।
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नया कदम
यह नया कदम तब उठाया गया है, जब ईडी और सीबीआई अधिकारियों ने मामले की जांच के दौरान कई संपत्तियों की पहचान की, जिनके नाम अन्य लोगों के हैं लेकिन भुगतान पूर्व मंत्री और उनकी करीबी सहयोगी ने किया था।
अपराधिक पहलू की कर रही है जांच
सूत्रों ने बताया कि यह मामला तीन केंद्रीय एजेंसियों द्वारा विभिन्न कोणों से जांचा जा रहा है। जबकि सीबीआई आपराधिक पहलू की जांच कर रही है, ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की दिशा में जांच कर रही है और आयकर विभाग बेनामी लेनदेन की जांच कर रहा है।