जमीयत उलेमा -ए- हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) ने केंद्र सरकार (Central Government) से मांग की है कि देश में धर्म आधारित (Religion Based) आरक्षण (Reservation) लागू किया जाए। जमीयत उलेमा -ए- हिंद ने कहा कि संविधान (Constitution) के अनुच्छेद 341 (Article 341) में संशोधन किया जाए। ताकि केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की तर्ज पर मुसलमान और ईसाइयों को पूरे देश में आरक्षण का अधिकार मिल सके।
स्कूलों को टकराव का नया केंद्र बनाने की तैयारी
जमीयत उलेमा -ए- हिंद ने शिक्षण संस्थानों में टकराव क्या नया रास्ता चुन लिया है। जमीयत ने स्कूलों में सरस्वती वंदना, धार्मिक गीतों और सूर्य नमस्कार जैसी गतिविधियों को धार्मिक बताते हुए मुस्लिम छात्रों से इनका बहिष्कार और विरोध करने की बात कही है।
शिक्षा के अधिकार आरटीई का विरोध
मौलाना महमूद मदनी ने उत्तर प्रदेश के गैर मान्यता प्राप्त 4204 मदरसों में पढ़ रहे मुस्लिम बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत अन्य स्कूलों में प्रवेश दिलाने की उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले का विरोध किया है। मदनी ने कहा है कि हम स्पष्ट रूप से इस्लामी मदरसों में शिक्षा के अधिकार कानून को नहीं मानते। दिल्ली में हुई जमीयत उलेमा -ए- हिंद की दो दिनों की बैठक के बाद जमीयत उलेमा -ए- हिंद के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद मदनी ने मीडिया के लिए जारी बयान में भारतीय संविधान मे संशोधन की मांग की बात कही है, ताकि मुसलमान को आरक्षण मिल सके।
जमीयत उलेमा -ए- हिंद के खिलाफ उठने लगे आलोचना के स्वर
जाने माने शिक्षाविद फिरोज बख्त अहमद ने “हिंदुस्थान पोस्ट” से कहा कि जमीयत उलेमा -ए-हिंद कि यह सारी मांगों का कोई अर्थ नहीं है। यह खुद को आप्रसांगिक कर रहे हैं। जहां विज्ञान खत्म होता है। वहां योग शुरू होता है।
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