Supreme Court: संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द हटाने की याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने मंजूर कर लिया है। सुब्रमण्यम स्वामी और विष्णु जैन सहित तीन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाईम होगी।
आपातकाल में संविधान की प्रस्तावना में संशोधन के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की पीठ करेगी । वर्ष 1976 में 42वें संशोधन अधिनियम के तहत संविधान की प्रस्तावना को पहले संशोधित किया गया था। जिसमें संविधान को स्वीकार करने की तारीख 29 नवंबर 1949 को बरकरार रखते हुए ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को शामिल किया गया था।
42 वें संविधान संशोधन के तहत जोड़े गए थे ये शब्द
वर्ष 1976 में इंदिरा गांधी सरकार ने 42 वें संवैधानिक संशोधन के तहत संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द शामिल किए थे। इस संशोधन के प्रस्तावना में भारत को संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य से बदलकर संप्रभु ,समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य कर दिया गया था।
तीन याचिकाओं पर एक साथ विचार
सुप्रीम कोर्ट अब एक साथ इस विषय से जुड़ी हुई तीनों याचिकाओं पर विचार करेगी । इससे पहले बलराम सिंह व अन्य बनाम भारत संघ के वकील विष्णु शंकर जैन के अनुरोध पर मामले को सूचीबद्ध किया गया था ।
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि भारत के संविधान की प्रस्तावना एक निश्चित तारीख को आई, इसलिए चर्चा किए बिना इसमें संशोधन नहीं किया जा सकता, वहीं सुब्रह्मण्य स्वामी का कहना है कि 42 वां संशोधन अधिनियम आपातकाल 1975 -77 के दौरान पारित किया गया था।
अब सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि प्रस्तावना को बदला जाए, संशोधित किया जाए या निरस्त किया जाए?
Join Our WhatsApp Community