नई दिल्ली। चीन तिब्बत की धार्मिक संस्कृति पर बड़ा आघात करने की कोशिश में है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि तिब्बत में स्थिरता लाने के लिए वहां की अभेद्य किलेबंदी की जानी चाहिए। इसके साथ ही वहां के बौद्ध धर्म का सिनीकरण करने का आह्वान भी किया है।
भारत और चीन की सीमा का अधिकांश हिस्सा तिब्बत से जुड़ा हुआ है। 1950 में तिब्बत पर जबरदस्ती कब्जा जमाने के बावजूद चीन वहां के बौद्धों का मन नहीं बदल पाया है। इसे लेकर चीन की चिंता हमेशा बनी हुई है कि तिब्बत में अलगाववाद का स्वर आग का रूप न ले ले।
बौद्ध धर्म का करें सिनीकरण
चीन में पांच वर्ष बाद ‘तिब्बत पॉलिसी बॉडी’ की हाई लेवल बैठक हुई। तिब्बत पॉलिसी पर चीन में यह सबसे अहम मंच है जिस पर 2015 के बाद पहली बार चर्चा हुई है। शिन्हुआ की तरफ बाद में जारी एक रिपोर्ट में सीमा सुरक्षा पर शी के बयानों को शामिल नहीं किया गया। शी ने लोगों को जागरूक करने का आदेश देते हुए कहा कि क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए अलगाववाद के खिलाफ अभेद्य किले का निर्माण करें। साथ ही तिब्बती बौद्ध धर्म का ‘सिनीकरण’ करने का आह्वान किया।
अपने संबोधन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के साथ लगती सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया। शी जिनपिंग ने कहा कि सीमा की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता में होनी चाहिए। सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, शी ने पार्टी, सरकार और सैन्य नेतृत्व को सीमा सुरक्षा को मजबूत करने और सुरक्षा सुनिश्चत करने को कहा। साथ ही भारत के साथ लगती सीमा वाले क्षेत्र में सुरक्षा, शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
क्या है ‘सिनीकरण’
‘सिनीकरण’ का अर्थ है गैर चीनी समुदायों को चीनी संस्कृति के अधीन लाना और इसके बाद समाजवाद की अवधारणा के साथ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की राजनीतिक व्यवस्था उस पर लागू करना। चीन वर्षों से भारत में निर्वासित के रूप में रह रहे बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहा है। इस बीच अमेरिका ने भी तिब्बत के मुद्दे को जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया है।
सीमा पर किलेबंदी से हुआ त्रस्त
भारत द्वारा चीन के साथ लगनेवाली सीमा पर सैनिकों की तैनाती और सुरक्षा व्यवस्था चुस्त किेये जाने से चीन के होश उड़े हुए हैं। लेकिन इसके बावजूद चीन सीमा पर चालबाजी करने से बाज नहीं आ रहा है। यही पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में दिखा था। जिसमें चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की और उसकी परिणति में भारतीय सेना और चीन की सेना के बीच जून में खूनी संघर्ष हुआ। चीन के विस्तारीकरण पर भारत की स्पष्ट भूमिका और सैन्य तैयारियों से चीन परेशान है। इस चिंता की लकीरें दिखीं शी जिनपिंग के माथे पर जब वे तिब्बत पॉलिसी पर संबोधित कर रहे थे।
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