Delhi Liquor Scam Case: दिल्ली की एक अदालत ने 12 जुलाई (शुक्रवार) को शराब नीति मामले (Delhi Liquor Scam Case) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Cases) से जुड़े सीबीआई (CBI) के एक मामले में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) 25 जुलाई तक बढ़ा दी।
राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीएम केजरीवाल के खिलाफ दायर पूरक आरोपपत्र की एक प्रति उनके वकील पंकज गुप्ता को भी दी। आम आदमी पार्टी के प्रमुख को तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया।
केजरीवाल के खिलाफ आरोपपत्र दायर
अदालत ने केजरीवाल के खिलाफ दायर आरोपपत्र का पहले ही संज्ञान ले लिया है और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को आप की ओर से पेश हुए गुप्ता को आरोपपत्र की एक प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया है। इस महीने की शुरुआत में सीबीआई ने अदालत को बताया था कि भ्रष्टाचार के मामले में केवल केजरीवाल से जुड़ी जांच ही इस मामले से जुड़ी है। केंद्रीय एजेंसी ने कहा था कि जून के बाद नए तथ्य सामने आए हैं और वे शीर्ष अदालत को अपडेट करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी
शुक्रवार (12 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित आबकारी नीति घोटाले में ईडी द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत दे दी, लेकिन वे जेल में ही रहेंगे क्योंकि बाद में सीबीआई ने उन्हें संबंधित मामले में गिरफ्तार कर लिया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह केजरीवाल पर निर्भर है कि वे तय करें कि उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में बने रहना चाहिए या नहीं। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, “हम इस तथ्य से अवगत हैं कि अरविंद केजरीवाल एक निर्वाचित नेता हैं।” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि केजरीवाल 90 दिनों से अधिक समय तक कारावास में रहे हैं।
यह ही पढ़ें- Earthquake: जम्मू-कश्मीर के बारामूला में महसूस किए गए भूकंप के तेज झटके, जानें कितनी थी तीव्रता
गिरफ्तारी की वैधता से संबंधित प्रश्न
इसने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मामले में उनकी गिरफ्तारी की वैधता से संबंधित प्रश्नों को भी एक बड़ी पीठ को भेज दिया। अदालत ने कहा कि चूंकि मामला जीवन के अधिकार से संबंधित है और गिरफ्तारी के मुद्दे को एक बड़ी पीठ को भेजा गया है, इसलिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। आप नेताओं ने दावा किया कि अंतरिम जमानत आदेश ने साबित कर दिया है कि एजेंसियों और सरकार ने कथित आबकारी नीति घोटाले में झूठा मामला बनाया है।
यह ही पढ़ें- Punjab News: खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल का भाई गिरफ्तार, जानें क्या है प्रकरण?
दिल्ली आबकारी नीति मामला
यह मामला दिल्ली सरकार की 2021-22 के लिए अब समाप्त हो चुकी आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धन शोधन से संबंधित है। आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति ने कार्टेलाइजेशन की अनुमति दी और कुछ डीलरों का पक्ष लिया, जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी, इस आरोप का आप ने बार-बार खंडन किया। इसके बाद नीति को रद्द कर दिया गया और दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच की सिफारिश की, जिसके बाद ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया।
यह वीडियो भी देखें-
Join Our WhatsApp Community