मुंबई में 17 अप्रैल को रात भर चले हाई वोल्टेज ड्रामे में नया मोड़ आ गया है। मुंबई पुलिस के निशाने पर अब खाद्य व औषधि प्रशासन( एफडीए) आ गया है। उसका कहना है कि इस पूरे मामले में एफडीए अधिकारी दोषी हैं। पुलिस का कहना है कि फार्मा कंपनी को रेमडेसिविर को लेकर दी गई अनुमति से उसे अवगत कराना चाहिए था। लेकिन उसने इस बात को छिपाकर रखा। इसलिए वह इस मामले में दोषी है।
17 अप्रैल की रात ये हुआ
महाराष्ट्र को रेमडेसिविर की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। मुंबई पुलिस को सूचना मिली थी कि दमन की एक कंपनी ब्राक फार्मा ने रेमडेसिविर के 60,000 इंजेक्शन का स्टॉक रखा है। इस मामले में फार्मा कंपनी के निदेशक राजेश डोकानिया को पुलिस ने रात को गिरफ्तार किया और पूछताछ के लिए बीकेसी पुलिस थाने ले गई। पुलिस ने एफडीए अधिकारियों को भी वहां बुलाया। इस मामले में देर रात विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस, प्रवीण दरेकर और स्थानीय विधायक पराग अलवानी ने बीकेसी के पुलिस उपायुक्त मंजुनाथ शिंगे को फोन किया और उनसे पूछा कि डोकानिया को वहां क्यों लाया गया। उन्होंने बताया कि कंपनी ने एफडीए से रेमडेसिविर प्राप्त करने की अनुमति ली है।
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एफडीए दोषी
घटना के संबंध में मुंबई पुलिस द्वारा 18 अप्रैल को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई। इस पत्र में, उन्होंने एफडीए को दोषी बताया है। पत्र में लिखा गया है कि यदि एफडीए ने अनुमति दी थी, तो उसने पुलिस को जानकारी क्यों नहीं दी। पुलिस ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि मुंबई पुलिस का ऐसा कोई इरादा नहीं था। बाजार में रेमडेसिविर की कालाबाजारी हो रही है और रेमडेसिविर की कमी है, इसलिए पुलिस ने यह कार्रवाई की।
पूछताछ के लिए उपलब्ध रहना होगा
पत्र में कहा गया है कि विपक्षी नेता फडणवीस को सूचित किया गया था कि रेमडेसिविर के अवैध भंडारण और कालाबाजारी के मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। पत्र में कहा गया है कि फार्मा कंपनी के निदेशक को पूछताछ के लिए पुलिस के समक्ष उपस्थित रहना होगा।